Book Title: Anusandhan 2007 04 SrNo 39
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 33
________________ o अनुसन्धान ३९ no no no no no no no no no चोथीय पूजमां । मु. चोथीय पूजामां । जे जिन सुर० । मु. जिम जिन सुर० । (१४) गीत ४, क. २ पूजति तिम भवि० । मु. पूजति भवि० । (१५) क. ३चूरणवासं मु. चूरणवासे मोचति । मु. मुंचती । (१६) पूजा ५, क. १ शुचि मेली । मु. शुचि भेली । (१७) गीत ५, क. १ पंकजोपरि । मु. पंकज पर । ओरनकुं । मु. ओर देवनकुं । तुम सम । मु. तुज समो । (१८) पूजा ६, क. १. वासंति ए। मु. वासंतिका । (१९) क. २ पाडलांकोल । मु. पाडलंकोल (२०) गीत-६, क. १प्रभु मेरे । मु. प्रभु हमेरे । जाइ जन तनु ताप । मु. जाये जाय तनु ताप । गलइ ठवी । मु. कंठ ठवे । (२१) क. २ चडई दसदिस वासती । मु. चढे दिसि वासंती । (२२) पूजा ७, क. १ जासूलस्युं चीतरिओए । मु. जासुद| चित्त धरेए । (२२) क. २-३, "पंचवरण अंगी प्रभु० चक्कि नामा रे" एम पाठ छे । ज्यारे मु. मां अहीं "सूर्याभादि करत० सुर गाति रे" एम पाठ छे । ए ज प्रमाणे no no no no no no no ह. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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