Book Title: Anusandhan 2007 04 SrNo 39
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 59
________________ 54 गीतं ॥ राग मालवी गोडी ॥ कुसुम जाति आंगी मनि खंतिं, पंचवरणनी जातिं रे । माहिं विविध कथीपा भांति रे ॥१॥ कुसुम० अनुसन्धान ३९ सातमी पूजानुं गीत कहे छ । तिमज ए फूल विविध प्रकारनां लेइ कुसुमनी जातिनी आंगी रचीइं । वली केवी ? मननें हर्षे करी - कधी । पंचवर्णी फूलनी जातिथी आंगी रचीइं छें । वली केहवी ? मांहिं जाणीइं छे विचि विचि विविध प्रकारना कथीपानी भांत केवी दीसे तेहवी आंगीनी शोभा दीस छई जेहनी ॥१॥ पंचवरण अंगी प्रभु अंगई, रचयति ज्युं सुर रामा रे । ऋषभकूट चक्क- - नामा रे ॥२॥ कुसु० ॥ पंचवर्ण फूलनी आंगी प्रभु ते जिनेश्वरनें अंगई आंगी रचयति कहतां रच केवी शोभे छइं ? जिम सुररामा क० देवांगना इंद्राणीओ, तेणें आंगी रची तिम रचें- नीपजावें । कुंण दृष्टांते सोभे छ ? जिम ऋषभकूट पर्वतनई विषई चक्री दिग्विजय करी पोतें नाम लिखें, तिम भविक-भवि प्राणी पणि मिथ्यात्वादिकनो जय करी चक्रीनी पर आंगीरचना मिसै ऋषभकूटें नामो लिखतो छै, तिम जिनेंश्वरें दिग्विजयनी आंगी रचीइं छै ॥२॥ चंपकस्युं दमणो मन रमणो संझ-रागस्युं सामा रे | सूर्याभादि करइ जिनपूजा सकल सुरासुर गातई रे || ३ || चांपाना फूल सार्थे - दमणो मनने गमतो; दमणानां पत्र केवा ? मननई खुस्याल करई एहवां । जिम संध्या रागें मिलती श्यामा रात्रि शोभइ छई तिम वली आंगी शोभई छें । वली सूरयाभादिक सुर- देवतां जिम जिननी पूजा करइ तिम । वली कुंण पूज्यई ? सकल क. समस्त सुरासुर गौतई हुंतई तिम ए कुसुम पूजा शोभई छई ॥३॥ ए सातमी पूजा विविध जाति पुष्पादिकइं करी आंगी करवानी ॥७॥ ए पंचवरण कुसुम जातिनी आंगी रचना पूजा सातमी कही ते माटे हिवणां संप्रदाई विविध जातिनी आंगी करता दीसइ छइ ॥७॥ ५७. गातें थकें ब. । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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