Book Title: Anusandhan 2007 04 SrNo 39
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 57
________________ अनुसन्धान ३९ सेव्याथी मुझथी पणि सुखी थाओ । सुर-देवताइं गुंथी माला लोकनें कहे छई । अथवा भमरा गूंजतां मालानें कहे छै अह्मे थकी पणि तुमें सुखी थाओ। जे माटें जिनने कंठइ बेठी छे ॥२।। छट्ठी पूजा फूलमालानी तेहनु गीत सबाफ रागें कहे छइ : गीतं - राग - सबाफ ॥ कंठ पीठई दाम दीठई प्रभु मेरे पाप नीठइं जिउं शशि देखत जाइ जन तन ताप । पंचवरण सब कुसुमकी गलइ ठवी गगनि सोहती जेसई सुरपति चाप ॥१॥ कंठ० ॥ कंठ पीठई क० जिननां कंठपीठनें विर्षे, दाम क० फूलनी माला, देखता थिकां हे प्रभो ! मेरे क० माहरा सर्व पाप नीठई क० मिटइं-जाइंक्षय थाइ । जिउं क० जिम चंद्रमानें दीठे - निरखतां प्राणीओना-सर्व वस्तुनां जन्मना परिताप जाई । जे शरीर तेहना ताप जाइं । पंचवरणी सब कुसुमकी क० सर्वकुसमी- फूलनी माला जिनगलैं ठवी-थापी केहवी शोभइ छई ते कहे छइं । गगनि क० आकाशमार्गे-आकाशनें विषं, सोहती क. शोभई, जेसई क० जिम, सुरपति क० इंद्र, तेहy चाप क० धनुष-केतुं सोभे? तिम-तेहनी परें शोभा, तिम जनि(जिन)ना कंठे फूलमाला शोभई। लाल चंपक गुलाल वेली जाती मोगर दमन भेली । गूंथी विविध कुसुमकी जाति । छट्ठी रे माला चडई दसदिस वासती तव सुरवधू परि नरवधू गात ॥२॥ कंठ० ॥ लाल पाडलनां फूल, चांपानां फूल, गुलाबनां फूल, वेलनां फूलनी माला, जाइना फूल, मोगराना फूल, दमणानां मरुयादिकई सहित भेलीनइंकरीनइं टोडर गूंथ्युं, गूंथीनें विज्ञानइं करी रची विविध प्रकारना कुसुमनी जातिइं एतलई पंचवरणी जातिनां टोडर । छट्ठी पूजा फूलमाला चढाववानी ४६. जनमतनु ब. । ४७. अरिहंतनइं गलें - ब. । ४८. लाल गुलाब चंपकवेलि, जाइ मोगरो दमणो भेली ब. । ४९. फुलनी ब. । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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