Book Title: Anusandhan 2007 04 SrNo 39
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 84
________________ अप्रिल २००७ ***** यह रचना उदयपुर राज्य और राजवंश से विशिष्ट सम्बन्ध रखने वाले ओसवाल जाति के कावड़िया गोत्रीय ताराचन्द के आदेश और अनुरोध से बनाई गई है । ताराचन्द जैसा कि ऊपर कहा गया है, भामाशाह का छोटा भाई था । महाराणा प्रताप का वह विश्वस्त राज्याधिकारी था । भामासाह के साथ वह भी प्रसिद्ध हल्दीघाटी के युद्ध का एक अग्रणी योद्धा और सैन्य संचालक था । उसने चित्तोड़ के राजवंश की रक्षा के निमित्त अनेक प्रकार से सेवा की थी, अतः उसके मन में चित्तौड़ के गौरव की गाथा का गान करवाने का उल्हास होना स्वाभाविक ही था । (पृष्ठ ७) यह पुस्तक 'गोरा बादल चरित्र' के नाम से मुनिजी द्वारा सम्पादित होकर राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर से सन् १९६८ प्रकाशित हो चुकी है । इस कृति के आधार से निश्चित तो नहीं किन्तु यह सम्भावना की जा सकती है कि वीर भामाशाह कावड़िया भी पूर्णिमागच्छीय थे । 79 कवि की अभयकुमार चौपई, महीपाल चौपई (र. सं. १६३६), शीलवती कथा (र. सं. १६१३, पाली) लीलावती कथा (र. सं. १६१३), रामरासौ और सीता चरित्र आदि नाम की भी अन्य रचनाएँ उपलब्ध है । इन कृतियों का उल्लेख मुनिजी ने गोरा बादल चरित्र, एक पर्यालोचन - पृष्ठ ७ में किया है । कविवर - श्रीहेमरत्नप्रणीतो भावप्रदीपः [प्रश्नोत्तरकाव्यम्] ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ श्रीमते 'विश्वविश्वकभास्वते शाश्वतद्युते । केवलज्ञानगम्याय नमोऽनन्ताय तेजसे ॥१॥ १. ब. समस्त । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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