Book Title: Anusandhan 2006 02 SrNo 35 Author(s): Shilchandrasuri Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 6
________________ निमित्त भगवान महावीरना २६००मा वर्षमुं; अने पोथीओनी वर्तमान मालिक ब्रिटिश लायब्रेरी! तेनी पासे के ते देशनी सरकार पासे आ पोथीओना सूचीकरण माटे पैसा नथी, तो आपणो उदारताथी छलकातो देश ते माटे अनुदान फाळवे छे ! देशना संग्रहो घंटी चाटे, ने विदेशीओने आटो ! ते आनुं नाम ? अलबत्त, प्रतोनुं सूचिपत्र बने तो ते उमदा कार्य ज छे; खोटुं तो जरा पण नथी. पण, वास्तविक वात ए छे के N.M.M.ए के सरकारना सांस्कृतिक मन्त्रालये, आवां अनुदानोनो विनियोग, ए मूळ सामग्री पाछी आ देशमां आवे ते माटे करवो जोईए. अने जो ए शक्य ज न होय तो, ते तमाम विदेशस्थिति सामग्री, फोटो रूपे, फिल्म रूपे के C.D. वगेरे रूपे, आ देशना विद्वानोने, ज्यारे जोईए त्यारे, उपलब्ध थाय/होय, तेवो प्रबन्ध करवो जोईए । -शी० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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