Book Title: Anusandhan 2006 02 SrNo 35
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 5
________________ आमां नूतन उपलब्धि क्यां अने केटली ? एवो सवाल हवे थाय तो ते अस्थाने गणाशे खरो ? वस्तुत: N. M. M.नुं कार्य केतुं /कयुं होवुं जोईए ए विचारवानुं अहीं प्रासंगिक जणाय छे. अंग्रेजोए पोताना भारत - निवासना सुदीर्घ समयगाळामां, आ देशनी अढळक पुरातात्त्विक तथा सांस्कृतिक संपत्ति हडप करी लीधी छे. आपणी पराधीन स्थितिनो लाभ लईने तेओ जरझवेरात जेवीं भौतिक कीमती जणसो जेम लई गया, तेम प्राचीन मूल्यवान शिल्पो, प्रतिमाओ, चित्रो तथा हस्तप्रतो वगेरे सामग्री पण मोटा प्रमाणमां उठावी गया छे. विक्टोरिया एन्ड अल्बर्ट म्युजियम, इन्डिया ओफिस लायब्रेरी, ब्रिटिश लायब्रेरी वगेरेमां प्रदर्शित तेमज स्टोरेजमां पडेली सामग्रीनुं वैपुल्य जाणीए त्यारे ज ते लोको आपणुं केटलुं बधुं लई गया छे तेनो ख्याल आवे. आ तमाम सामग्री ए भारतनी सांस्कृतिक, धार्मिक तेमज राष्ट्रीय संपत्ति हती अने छे. आ सामग्रीनी साची मालिकी आपणा देशनी छे. आ सामग्री ब्रिटिशरो पासेथी आपणने पाछी मळे ए दिशामां आपणी सरकारे आज लगी प्रयास तो शुं, विचार सुद्धां कर्यो होय तेवुं जणातुं नथी. N.M.M. जेवा मिशननुं खरुं कार्य तो आ होवुं जोईए. आ मिशने मूळे आ देशनी गमे ते प्रान्त, भाषा के धर्म भले ते जोडायेली होय ते तमाम - हस्तलिखित सामग्री, जे आजे ब्रिटनमां पडी होय ते, आ देशमां पाछी आवे ते माटे पोताना प्रयत्नो आदरवा जोईए तथा पोतानी तमाम वग वापरवी जोईए. तो ज तेनुं 'राष्ट्रीय हस्तलेख शोध अभियान' एवं नाम सार्थक ठरे. 1 दुर्भाग्ये, आपणी सरकार, ब्रिटिश लायब्रेरीमांना जैन ग्रन्थोनुं सूचीकरण करवा माटे, बे करोड रूपियानुं अनुदान फाळवीने बेठी छे ! (हवे पछी, त्यांना अजैन ग्रन्थोना सूचीकरण माटेनी जाहेरात आवी पडे तो नवाई नहि ! पोथीओमां पण धर्मभेद !) पोथीओ आ देशना जैनोनी, सरकार भारतनी, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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