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July-2004
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प्रवचनसार
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(iv) स.ए.व.के प्रत्यय लिंगप्रा. शीलप्रा. बारसअणु. -ए २ -म्हि ० -म्मि ४
७७ उपरोक्त तालिका के अनुसार लिंगप्राभृत में - ए प्रत्यय ३३% और- म्मि प्रत्यय ६७% मिलता है । - "म्हि' प्रत्यय एक भी बार मिलता नहीं है । शीलप्रा. '-ए' प्रत्यय ८८% और- म्मि. प्रत्यय १२% मिलता है; '-म्हि' प्रत्यय एक बार भी नहीं मिलता है । बारसअणु. में - ए प्रत्यय ९५% ‘-म्मि' प्रत्यय ०% और 'म्हि' प्रत्यय ६% मिलता है । जबकि प्रवचनसार में '-ए' प्रत्यय ६०%, -म्मि प्रत्यय १३% और-म्हि प्रथ्यय २७% मिलता है।
इससे स्पष्ट होता है कि- "म्हि' प्रत्यय जो पूर्वकालका है यह लिंगप्राभृत और शीलप्राभृत में मिलता ही नहीं है और प्रवचनसार में मिलता है इसलिए कह सकते हैं कि प्रवचनसार की भाषा पूर्वकाल की है।
(v) सामान्य भविष्यकाल के प्रत्यय लिंगप्रा. शीलप्रा. बारसअणु. -स्स . -हि,-ह ०
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सामान्य भविष्यकाल के लिए '-स्स', '-इस्स' '-हि' और '-ह' विकरणों का प्रयोग किया जाता है । -स्स विकरणवाला रूप प्रवचनसार के सिवाय अन्य तीनो ग्रंथों में नहीं मिलता है, उदा. भविस्सदि- ११२, जीविस्सदि १४७ इत्यादि । शीलप्राभृत और बारसअणु. में -स्स विकरण के स्थान पर '-ह' विकरण मिलता है । शीलप्राभृत- होहदि ११, बारसअणु.
प्रवचनसार
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