Book Title: Anusandhan 2004 07 SrNo 28
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 97
________________ 92 कडी १२८ कडी १३७ कडी ४० कडी १४३ कडी १४५ कडी १५३ कडी १५८ कडी १६० कडी १६१ कडी १६२ कडी १६२ कडी १६४ कडी १६५ छेह उ = ओ तांह = त्यां वहीलउ भावठि हत्थिणाउरी = हस्तिनापुरी अनीठ = अनंत सादरुं = श्रद्धाथी / ईच्छाथी कडी १७५ कडी १८५ कडी १८५ कडी १८७ कडी १८९ = धूळ = = जासक = घणा ऊगटि = स्नान द्रव्य Jain Education International कणयर = करेण फूल / कांबडी = सोटी सीहलंकी = पातळी कमर इसीए एवी तिलउ = तिलक चउरीसहि सूहवी मदभिभल देउर - दियर विगोइ = कडी १६७ कडी १६८ कडी १६८ वगोवी कडी १६९ उपघात = वध कडी १७० मयगल = हाथी वाई टलइ उल्हाइ = ओलवाय मिल्हइ = मूके खेव = दूर करे / विलंब / तरत पाहरी = पहेरावाळा सिउं मिसिई आउ = वहेलो जंजाळ / मानसिक उपाधि / मुसीबत / दुःख = चोटीमा सौभाग्यवती == www शुं ? मदमस्त / मदिराने वश थयेली वायुथी खराय निमित्ते आयुष्य / भेउं भेद अनुसंधान - २८ = For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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