Book Title: Anekant 1984 Book 37 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 105
________________ दिल्ली से श्री महावीरजी की पद यात्रा सम्पन्न "श्री वीर जय जय महावीर जय जय" के मधुर गीत गाते हुए जब पद यात्री किसी नगर या मन्दिर में प्रवेश करते तब वहां की समाज उनका अभूतपूर्व स्वागत करती । इन पदयात्रियो ने आचार्य श्री दर्शनसागर जी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त कर दिनांक ७ अक्तूबर ८४ को प्रातः 8 बजे चांदनीचौक स्थित श्री दि० जैन लाल मन्दिर से श्री महावीरजी के लिए प्रस्थान किया। दिल्ली के जैन समाज ने इन पदयात्रियों को पुष्पहार पहना कर भावभीनी विदाई दी। ये पद यात्री भोगल, बदरपुर, फरीदाबाद, बल्लभगढ़, गदपुरी, पलवल, औरगाबाद, बनवारी, होडल, कोसी, छाता, छटीकरा, चौरासी, जाजमपटटी, भरतपुर, उच्चैन, बयाना, सुरोंठ, ढिढोरा, हिण्डौन, शान्तिवीर नगर होते हुए दिनांक १६ अक्तूबर की प्रातः ५ बजे श्री महावीरजी के मन्दिर मे पहुचे । भगवान महावीर के जयजयकार से मन्दिर का वातावरण मुखरित हो उठा। यात्रा संघ के सभी सदस्यों ने भगवान महावीर के चरणों में नमन किया, प्रक्षाल पूजा और पाठ कर मन्दिर की परिक्रमा की । इस यात्रा संघ में लगभग २५ व्यक्ति थे जिनमें से १६ यात्रियों ने पैदल यात्रा की। यात्रा की विशेषता यह थी कि सभी यात्री हर समय भजन-कीर्तन करते हुए आगे बढ़ते । जहा कही रुक्ते स्वाध्याय में लीन रहते । देव दर्शन करना, पूजा अर्चना करना, रात्रि भोजन नही करना, पानी छान कर उपयोग करना, शुद्ध भोजन न चमड़े की वस्तुओं का परित्याग आदि सभी पदानियो के जीवन का अग बन गया था। इतना ही नहीं मनी पदयात्री अनगैल बातो और फोध आदि कथा से दूर रहे यात्रियों को श्री पदमचन्द जी शास्त्री के प्रवचनो का लाभ प्रतिदिन सुबह शाम प्राप्त हुआ जो यात्रा संघ के साथ गए हुए थे । रास्ते में अर्जन बन्धु भी पदयात्रियों के स्वर में स्वर मिलाकर जय महावीर के नारे लगाते संघ ने रास्ते में जाये सभी जिनालयों के दर्शन भी किये। श्री पदमचन्द जी शास्त्री के प्रवचनों से यात्रियों के अतिरिक्त स्थानीय समाज के अन्य लोग भी लाभान्वित हुए। अपने प्रवचन में शास्त्री जी ने स्पष्ट किया कि इस प्रकार की यात्रा साधना का ही एक अंग है क्योंकि सभी यात्री संयम का पालन करते रहे। इस प्रकार की सभी क्रियाएं आत्मज्ञान की प्राप्ति में सहायक होती हैं। ऐसी यात्राओं से धर्म की महती प्रभावना होती है। दिनांक १९ अक्टूबर को रात्रि में श्री महावीरजी में पदयात्रा संघ यात्रियों के सम्मान में एक सभा का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता क्षेत्र के व्यवस्थापक श्री जे० पी०एस० जैन ने की । ब्र० कमलाबाई के सानिध्य में सम्पन्न इस सभा में श्री सुभाष जैन व श्री उम्मेदमल पाण्डया को यात्रा की सफलता के लिए आशीर्वाद स्वरूप रजत पत्र भेंट किये गये। सभा मे दि० जैन आदर्श महिला विद्यालय की बालिकाओं द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम व श्री प्रदीप जैन के भजनों की सभी ने मुक्त कंठ से सराहना की । इस पद यात्रा का श्रेय जहां शकुन प्रकाशन के संचालक श्री सुभाष जैन के सकल्प को है वहां मार्ग में आवास व भोजनादि की व्यवस्था का दायित्व भी उम्मेदमल पांडया ने स्वीकार कर यात्रा को निष्कटक बना दिया । इस संदर्भ मे दि० जैन आदर्श महिला विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री ब्रजमोहन जी की सराहना किए बिना नहीं रहा जा सकता जिन्होंने व्यवस्था में समय-समय पर योगदान दिया। श्री पदमचन्द जी शात्री को इस यात्रा मे क्या अनुभव हुआ इस पर एक पुस्तिका निकट भविष्य मे शीघ्र प्रकाशित की जाने की आशा है। २५, अक्तूबर ८४ - अनिलकुमार जैन २७७०, कुतुब रोड, दिल्ली

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