Book Title: Anand Pravachan Part 08
Author(s): Anand Rushi, Kamla Jain
Publisher: Ratna Jain Pustakalaya

Previous | Next

Page 6
________________ ( ४ ). श्रद्धेय आचार्य सम्राट ने अपने गहनतम अध्ययन-अनुभव के आधार पर इस ग्रन्थ के एक-एक सूत्र पर विविध दृष्टियों से चिन्तन-मनन-प्रत्यालोचन कर जीवन का नवनीत प्रस्तुत किया है। इन प्रवचनों में जहाँ चिन्तन की गहराई है, वहाँ जीवन जीने की सच्ची कला भी है । गौतम कुलक के इन प्रवचनों को हम लगभग तीन-चार भाग में क्रमशः प्रकाशित करेंगे। इनका संपादन यशस्वी साहित्यकार श्रीचन्द जी सुराना ने किया है। विद्वान् लेखक मुनिश्री नेमीचन्द जी महाराज का मार्गदर्शन भी समय-समय पर मिलता रहा है। हम उनके आभारी हैं। आशा है यह प्रवचन पुस्तक पाठकों को पसन्द आयेगी। मन्त्री श्री रत्न जैन पुस्तकालय, पाथर्डी 8०००००08 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 420