Book Title: Alankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Author(s): Archana Pandey
Publisher: Ilahabad University

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Page 10
________________ इसके अतिरिक्त आचार्य अजित सेन ने वाग्भट प्रणीत वाग्भटालकार से कतिपय श्लोकों को उद्धृत किया है जो अक्षरश अनुकृत है जिसका विवरण इस प्रकार है - वाग्भटालकार परि0 2/1 सस्कृत प्राकृत तस्यापभ्रशो भूतभाषितम् । इति भाषाश्चतस्रोऽपि यान्ति काव्यस्य कायताम् ।। सस्कृत स्वर्गिणा भाषा शब्दशास्त्रेषु निश्चिता । प्राकृत तज्जतत्तुल्यदेश्यादिकमनेकधा ।। अपभ्रशस्तु यच्छुद्ध तत्तद्देशेषु भाषितम् । यद्भूतैरुच्यतेकिञ्चित्तदभौतिकमितिस्मृतम् ।। वाग्भटालकार परि02/2 वही परि0 2/3 'श्रीवेकटेश्वर' स्टीम्-यन्त्रालयमै उक्त श्लोक अलकार चिन्तामणि के द्वितीय परिच्छेद मे भी क्रमश उद्धृत है ।' श्री प्रभा चन्द्रमुनि रचित 'प्रभावक चरित' मे वाग्भट के सम्बन्ध मे उल्लेख मिलता है जहाँ यह बताया गया है कि 'वाहड वाग्भट्ट एक धनवान तथा धार्मिक व्यक्ति थे । उन्हेने अपने गुरु से जेन मन्दिर के निर्माणार्थ निवेदन किया ओर कहा कि आप मुझे जिनालय के निर्माण की अनुमति प्रदान करे जिससे द्रव्य-व्यय सार्थक हो सके । इस प्रकार इन्होंने 1178 वि० सम्वत मे जिनालय का निर्माण कराया जिसका उल्लेख इस प्रकार है - अ०चि0 2/119, 120, 121 तुलनीय वाग्भटालकार 2/1, 2, 3

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