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षष्ठ अध्याय
इसी प्रकार संविधान के अनुच्छेद 23-24 में शोषण के विरुद्ध अधिकार अनुच्छेद 25-26 में धर्म की स्वतन्त्रता का अधिकार अनुच्छेद 29-30 में संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी अधिकार, अहिंसा की भावना का प्रतीक है।
सम्पूर्ण संविधान का अध्ययन करें तो पाएँगे कि भारतवर्ष का संविधान, अहिंसक भावना की आधारभूमि पर निर्मित है।
प्रथम प्रधानमंत्री के विचार
महात्मा गाँधी जी के अत्यन्त करीबी तथा भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पं. जवाहरलाल नेहरु अहिंसा के जबरजस्त हिमायती थे, उनका स्पष्ट कहना था कि
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'अहिंसा धर्म महज ऋषियों और महात्माओं के लिए नहीं है, वह तो आम लोगों के लिए भी है जैसे पशुओं के लिए हिंसा प्रकृति का नियम है, वैसे ही अहिंसा हम मनुष्यों की प्रकृति का विधान है। पशुओं की आत्मा सोती पड़ी रहती है और वह शरीरिक बल के अलावा और किसी कानून को जानती ही नहीं है।
मनुष्य के गौरव के लिए आवश्यक है कि वह अधिक ऊँचे विधान की शक्ति, आत्मा की शक्ति के सामने सिर झुकाये। जिन ऋषियों ने हिंसा में से अहिंसा का नियम ढूंढ़ निकाला है, वे न्यूटन से ज्यादा प्रतिभाशाली थे। वे हथियार चलाना जानते थे। लेकिन अपने अनुभव से उन्होंने उसे बेकार पाया और भयभीत दुनिया को यह सिखाया कि उसका छुटकारा हिंसा के ज़रिए नहीं होगा, बल्कि अहिंसा के जरिए होगा।'
- परमपुरुषार्थ अहिंसा, 4.56