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अष्टम अध्याय
111 क्या इस स्तर पर किसी प्रकार का कोई प्रशिक्षण है? अच्छे या बुरे लक्ष्य के लिए हिंसा के प्रशिक्षण की व्यवस्था पूरे विश्व में है। बन्दूक चलाने का प्रशिक्षण आतङ्कवादी भी देते हैं और सरकार भी, फर्क इतना है कि एक शान्तिभङ्ग करने के लिए प्रशिक्षण दे रहा है और एक शान्ति स्थापित करने के लिए। एक आतङ्क फैलाने के लिए प्रशिक्षित हो रहा है और एक आतङ्क से सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित हो रहा है। एक बन्दूक की नोंक पर शान्ति खत्म करना चाहता है और एक बन्दूक की नोंक पर शान्ति बनाये रखना चाहता है। बन्दूक की नोंक पर शान्ति स्थापित कराने का फार्मूला तात्कालिक समाधान तो दे देता है किन्तु स्थायी समाधान देने में यह प्रशिक्षण भी असफल है क्योंकि यह प्रक्रिया और समस्या हमेशा बनी रहती है। हिंसा प्रशिक्षण का बजट
प्रश्न उठता है कि अहिंसा की स्थापना के लिए हिंसा के प्रशिक्षण पर प्रतिवर्ष अरबों-खरबों रुपये खर्च होते हैं और हम जानते हैं कि इससे हम कभी स्थायी समाधान पर नहीं पहुँचेंगे, फिर भी अहिंसा प्रशिक्षण के लिए हम उसका 0.1 प्रतिशत भी खर्च करने को तैयार नहीं, जो स्थायी समाधान देने की शक्ति रखता है। माना कि सुरक्षा के लिए हिंसा प्रशिक्षण का तर्क इतना मजबूत है कि रक्षा मन्त्रालय उसके लिए अरबों का बजट बनाता है लेकिन इसके स्थान पर अहिंसा प्रशिक्षण का तर्क इतना हल्का भी नहीं है कि उसके लिए इस बजट का एक प्रतिशत भी खर्च करने का प्रावधान न हो सके। इस विषय पर गम्भीरता से विचार होना चाहिए।
हिंसा प्रशिक्षण के नये-नये उपाय और इनके कुतर्क -
विश्व में जो भी राष्ट्र, हिंसक शस्त्रों का निर्माण करते हैं या महँगी कीमतें चुकाकर इन निर्मित शस्त्रों को खरीदते हैं, उनका कहना यही है कि हथियार विश्वशान्ति के लिए आवश्यक हैं, युद्ध निराकरण के लिए जरूरी हैं। जान पर खेलकर भी सामाजिक व्यवस्था अस्त-व्यस्त करने तथा निर्दोषों की जान लेने वाले प्रशिक्षित आतङ्कवादी तथा उनके संगठन, अपनी जाति