Book Title: Agamanusar Muhpatti Ka Nirnay Author(s): Manisagar Publisher: Kota Jain Shwetambar Sangh View full book textPage 3
________________ ॥ श्रीजिनाय नमः॥ जाहिर उद्घोषणा नंबर १. ॥ मोक्ष प्राप्ति की इच्छा करने वालोंको सूचना ॥ पहिले इस लेख को पूरा २ अवश्य पढिये. सुलहो विमाण वासो, एगछत्ता मेहीणि वि सुलहा ॥ दुल्लहा पुण जीवाणं, जिणंदवर सासणे बोहिं ॥१॥ इस अनादि संसारचक्रमें जन्म-मरण-रोग-शोक-आधि-व्याधि उपाधि-संयोग-वियोग-गर्भावास-नरक-तियेचादि अनंत दुःख भोगते हुए भी कभी पुण्ययोग से देवलोकमें वास होना तथा एकछत्र पृथ्वीका राज्य, लोकपूजा, सरस आहार, इष्टभोग वगैरह मिलने सुलभहैं परन्तु संसारके अनंत दुःखों का विनाश करके मोक्षका अक्षय सुख को देने वाले श्रीजिनेश्वर भगवान्के वचनोंपर शुद्धश्रद्धा (सम्यग् दर्शन) प्राप्त होना बहुत मुश्किलहै। .. "सम्यग् दर्शन-ज्ञान-चारित्राणि मोक्ष मार्ग:" शुद्ध सम्यक्स्व, शाम और चारित्र ही मोक्षका मार्गहै यह वाक्य जैनसिद्धांतों में प्रसिद्धही है, जबतक सम्यग् दर्शन, सम्यग् शान और सम्यग् चारित्र इन तीनोंकी प्राप्ति न होगी तबतक किसी भी जीवका मोक्ष हुआ नहीं, होगा नहीं, और हो सकेगाभी नहीं, इसलिये मोक्षप्राप्ति की इच्छाकरने वालोंको सम्यग् दर्शनादि इन तीनोंको अंगीकार करने चाहिये।: , . जबतक जिनेश्वर भगवान्के वचनोंपर शुद्धश्रद्धा न होगी तबतक सम्यग् दर्शन कभी नहीं होसकता, जबतक सम्यग्दर्शन न होगा तब तक सम्यग् दर्शनके बिना पदार्थका यथार्थ बोध कभी नहीं होसकता जबतक पदार्थका यथार्थ बोध न होगा तबतक सम्यग् ज्ञान नहीं होPage Navigation
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