Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 10
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 50
________________ महानिशीथासूत्र :: अध्ययन सबझंतरसम्बसंग परिच्चागं सबुत्तम सबझ भतर. दुवालसविह. अच्यंतघोरवीरुग्ण-करठ तवचरणाणुस्खाणा भिरमणं सबुत्तमं सत्तरसविह. कसिणसंजमाणु वाणपरिपालणेक्कबद्धलक्वत्तं सव्वुत्तमं सच्चुग्गिरण छ. काथहियं अणिमूहियबलवीरिय-पुरिसक्कार परक्कमपरितोलणं च सव्यत्तमसज्झाय झाणसलिलेणं पावकम्म. मललेवपक्खालणंति सव्वुत्तमुत्तमं आकिंचणं सवुत्तमं परमपक्तिंसवभावंतरेहिं णं सुविसुरसवोसविप्यमुक्के णवगुत्तीसणाहअद्यारसपरिहारहाण परिवेडिय-सुदुजर. पोरबंभवयधारणति 19 तभी एएणं चैव सबुत्तमरखती महव अज्जवमुत्तीतवसंजमसच्चोय आकिंचण-सुदुरबंभक्य धारणा समुदाणेणं च सबसमारंभक्विजणं 20 / तभी य पुट विदगागणिवाऊ-बणप्रबितिचउपंचिंदियाणं तहेव अजीब कायसंरभसमारंभारंभाणं च मणो वह काथलिएणं तिषित तिविहेणं सोशंदियादिसंबरण-आहारादिसन्नारियजडत्ता ए वीसिरणं 21 / ती य (मलियगरससीलंगसहस्सधारितं अमलियअटारससीलंग सहस्सधारणे च अखलिय भवंडियअमिलिय अस्रािहिय-सुमुग्गुग्गथरविचित्ताभिग्गहनिव्वाहणं 22) तभी य सुरमणुयतिरि छोईरिय-धोरपरीसहीवसगाहियासणं संमकरण 23 / तो य अहोरायाइपडिमासु मडापयत्तं 5 / तओ नि. पंडिकम्मसरीरथा निप्याडिकम्मसरीरत्ताए य सुकमाणे निप्पर्कपतं 25 // तओ य अगाइभवपरंपरसंचियअसेसकम्मरठराासवर्थ अणतनाणदसणधारितंचचउगई. या निये प्रामानिमोकार मोक्खगमग, च। तत्थ अदिदठजम्मजरामरणाणिसंपोगिः हठविभीयसंतानुव्वेग- अयसभखाणमहवाहि वेधणारोगसोगदारिदकखभयवेमणस्सतं 27 / तभी अ एगतिरं 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎

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