Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 10
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 166
________________ महानिशीथसूत्रं ययन मा, गामे नियजगणीओविय। गोथम, दिटठा न कम्मा. वि, अरीय रइहा तहिं भवे // 29 // ताहे सत्वजणेहिंसा, विथगिज्जसिकाउणं / मसिगेलयविलितंगा, खरेलढा भमाति // 27 // गोयमा। ओ परख पक्रयेहि, वाइयवरवि. रसडिमिं / निहाडिहिईण अन्नत्य, गामेलहिहिर पविसि॥२९॥ नाहे कंदफलाहारा, रन्नवापे संति था। दहा) मधुदरेण वियणता, णाहीए मझदेसए॥२९९॥ तभी सव्वं सरी से भरिपुत्राण या तहि तु विनुप्पमाणीसा, इसहघोरदुहाउरा // 30 // विथाणिता परमति पयरं, तप्पटसे समोस] / पेच्छिही जाव ता तीए, (अन्ने सिमवि बवाहिथणापरिगयसरीराणं तद्देसविहारिभवसत्तागं नरनारिगणाणं तिथियरसणा चेव ) सम्बद्रक्वं विणिठिही // 301 // ताहे सो लक्वणज्जाए, नहियं खुन्जियति जिओ। जोयम! घोरं तवं चरिउं, दुम्वाणा अनं गछिही॥३०२॥ एसा सा लक्षणदेवी,जा अगीयत्वदोसओ / गोथम। अणुकलसचितेणं, पत्ता दुस्वपरंपरं // 303 // जहा गं गोयमा / एमा, लक्षणदेविजथा त. हा। सकलसरिने अगीयत्धेऽणते पत्ते दुहाबली ॥३०४॥त. म्हा एवं विद्याणित्ता, सवारी सव्वहा / जीयत्यहि भ थव्वं, काय-वं तु (सुविसुद्धमूनिम्मल विमलनीसल्लं)नि. कलुसं मांति बेमि // 30 // पणयामरमरुयमधुठच. लणसथवत्तजयगुरू!। जगनाह / धम्मतित्यथर, भूयभः विस्स वियागय / // 36 // तवसा निकम्मंस वंमहरइरविधारण / चउकसायनिदवण, सव्व जगजीवनरल // 30 // घोरंधचारमिततिमिसतमतिमिरणासण। लोगालोगपगासगर मोहनरिनिसुंभण // 30 // इन्झिथराग. दोसमोहमोस सोमसतसोम सिवकर / अतुलिथबलविरिथमाह प्यथ, तिहुयणिक्कमहायस // 309 // निरुबमस्व अ. KAREERRRRRRE

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