Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 10
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 171
________________ YADRAPARDA भी आगमसुधारिसन्यु::: देशो विभाग: मिरामि दुक्कडमियं हत, एरिसं नो भणामऽहं। गोथमा ! अन्नंपिज भणसि, तंपि तुज्य कमऽहं // 37) एन्थ जम्मे नरी कोई कसिणुगं संजमं तवं जी सक्का काउंजे, तहवि सोगइपिवासिओ॥३७२॥ नियम परिवरवीरस्स, एगं बालग्प्याडयां। रथहरणस्से गियंदसिर्य, एसियंत पाशिधारियं ॥३७३॥(सकुणोइ) एथपिन जावजीवं, पाले ता इमस्सनी / गोथमा। तुभ बुद्धीए, स.. दि वेत्तस्साओ परं॥ 34 // मंडवियाए भवेयर, दुक्करकारि भवेत्तु थ। णवरं एयारिसं भक्थिं, किमठं गोथमा! पथं 1 // 37 // पुणी तं एवं पुरधमी, निधिको चउन्नाणी, ससुरासुरजगपूडए / निच्छियंसिम्झियब्वेऽवि, तमि जन्मे न अन्नए,जम्मे // 376 // (तहावि) अणिहिला बलं विरियं, पुरिसथारपरम्तमं / उरणं कठं तवं घोरं, सक्करं अणुचरंतिते // 37 // ता अन्ने सुर्वि सत्तेसुं, चउगइसंसारक्खभीएसु (जं जहव तिथयरा भति) तं तहेव समयुठेय, गोयम / सव्वं जटिग्यं // 37 // जे पुण गोयम' ते भणियं, परिवाडीए कीरत / अथक्के झुन्डेिणं,क ज्जतं कत्थ लभए ? // 37 // तत्थरि गोथम! दिठंतं, महासमुहंमि करछभो / अन्नेसि मगरमाहीणं, संघट्टा भीउवटरो // 30 // बुडनिब्बुड करेमाणो, (सबलीसल्लो भली) पेल्लापल्लीए कत्थई। ( उल्लीरिती) तो णासंतो धा. तो, पलायंती दिसोदिसिं // 31 // उछल्लं परछल्लं हीलण बनविहं नहिं / सहतो धाममलहतो, सणानिमिसं. पि कत्थई // 32 // कहकहवि दुक्खसंतनो, सुबहुकालेहि / तंजलं। अवगाहिती गी उवरिं, परमिणीसंडसंघणं / / / 3.3 // छिडई महथा किलेसेणं, लद्धं ता तत्थ पेछई। गहनम्वत्तपरिथरिथं कोमाचं खहेमले // 34 // PatarPAPMAP DochaPage Pac M

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