Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 10
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 173
________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 120] श्री आगमसुधासिन्यु::: दशमो विभाग: तलायनईसमुहमाईसु णवि होजा // 399 / / आवीयं धगधीरं सागरसलिलाउ बहुथरं होज्जा। संसारंमि अणेते अबलाजोगीए एस्काए // 400 // - सत्ताहविवन्न सुकुहियसाणजोगीए मज्झसमि। किमि यत्तण केवलएण जाणि मुक्काणि देहाणि / / 401 // तसिं सत्तमपुढबीए सिडिवेत्तं च जान उक्लुरुडं / बोहस. रजं लोग व अणंतभागेणवि भरजा // 10 // पत्ते य कामभीगे कालमणं इदं सज्वभोगे / अपुर्व चिय मन्नाजीवी तहवि य विसयसोक्वं // 603 // जनकल्लो (कछु) कंड्यमाणो दुहं मुणइ सोकसं / मोहाउरा मगुस्सा नह कामदुहं मुहं विति / / 404 // जाणंति अणुभवंति य जम्मजरामरयासंभवे दुक्थे / न य विसएसु विरज्जति गोथमा) दृग्गगमणपतिथएजीने // 10 // सवगहाणं पभवो महा गही सवठोसपायट्टी / कामगहो दुरय्या जेण/भभूयं जगं सवातप्स वसं जे गथा पाणी)/०६॥ जाणंति जडा भोगिड्ढि संपथा सबमेर धम्मफलं / तहवि दटमूढहियए पावं काऊगा दोगाई जति / / 809 // वरचइ खणेण जीवो पित्तानलधाउसिंभवोभेहि। उज्जमहमा विसीयह तरतमजोगी इमो दुलहो। 60 // पंचिंदियत्तणं माणुसत्तणं आयरिए जो सुकुलं / साहुसमागम मुणणासहहणाऽ रोग. पवज्जा // 10 // मलअहि विसविसूइयपाणियसत्यारिंगसंभमेहि च / देहंतरसंकमणं करे जीवो मुहत्तेण // 10 // न जावाउ सावरसेसं जाव घेवोवि अधि वसाओ। ताव करेज अप्पहियं मा तयि हहा पुणो परधा॥४१॥ सुरधगुविज्जुषणदिदग्नसंयागुरागसिमिण समं देखेंति तु रियल मम्मथभडं व जलभरियं // 12 // इय जाव ण चुक्कसि एरिसस्स खणभंगुरस्स देहम्स / उग्गं कट्ठं घोरं चरन्सु तनधि परिवाडी // 413 // गोयमोति

Loading...

Page Navigation
1 ... 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210