Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 10
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 178
________________ श्री महानिराशयसूत्रं धरन जालंबणं वा किंचि घेण चिराइयं पउरिय णो णं जदतथालं समगुरेज्जा से या गीथमा। मगयायरिती भवेज्जासू०४॥ से भयब कि तं विदयं पारित्तस्स णं पय” गोयमा। बीयं तश्यं चउत्थं पंचम जाव णं संम्वाश्याई पायच्छित्तस्स णं पधाइ तारणं पत्थं चेव परमपाय. जितपए संतरोगथाइसमणविंदा 11 से भयवं। केणं बरठेण एवं वाचन गोथमा। जीणं सब्बावस्सगकालाणुयेही भिकाय गं रोहट्टज्माणरागदोसकसायगावममकाराइस् ण अणेगपमायालंबणेसु च सबभाव भावंतरंतरेहि अच्चतविप्पमुखको भ. वैज्जा, केवल तु नाणसाचारितं तवोकम्मसन्झाय ज्माणसधम्मावसाणे (सगे सु अच्चतमणियस्थिबलबीस्थिपुरिसकारपरक्कमे सम्म अभिरमेज्जा,जाव णं सम्मावस्सगेसुं अभिरमेना नाव ण सुसंकु. डासबहारे हवेज्जा, जॉब या सुसंवुडासवहारे हवेज्जा नाव ण सजीवधीरिए अगाइभवगहणासंचियाणि दुग्द्वकम्मरासीए एगनगिठवणेवक बदलक्यो अणुस्कमेण निसरजोगी भवेत्ताण निहढासेसकम्मणो विप्यमुक्कजाइजरामरणाचउगइसंसारपास्य बधणे य सव्वक्वविमोचवतेलोक्कसिहरनिवासी भवेज्जा, एएया अहण गोयमा एव बुचर जहा णं एत्थ चैव पदमपए अवसेखाइ पायधित्तपथाइ अतरोवगयाइ समाविंदार म०५॥ . से भयव' कयरे से जावेम्सगे ! गोथमा / चिदबंदणादओ 6. से भयर' कहि नावस्सगे अरस ई पमाथदोसेण कालाइस्कमिएइमा बेलाइस्कमिएइ वा समयातिपकमिएइ वा अणीवउत्तपमत्तेहिं अविडीए बा

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