Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 10
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
View full book text
________________ Bes / 204] भी भागमसुधासिन्धु... लामो विभाग परिणामे यदाकगे। पाणावायम्स वेग्मी, एस पठमे अइक्कमे // 9 // तिवरागा यजा भाम्या,निररस्वरमकसकक्कसा / मुसावायम्स वेरमणे, एसबीए अइक्कमे॥८॥ वाहं अजाइत्ता, अचियतमि उवगहे। अदत्ता दाणरस वेरमणे, एस तइए अइक्कमे // 99 / / सहा रवा रसा गया फासाणं परियारणे। महणम्स वैरमणे, एस चरत्ये अइक्कमे / / 10 / / * इच्छा मुग्धा य गेही य, कंखा लोभे य ट्राइयो / परि गहम्स वरमयो पंचमगेसाइक्कमे // 101 // अश्मताहार होता, सूरवितमि संकिरे / राईभीटाणाम्स वेरमणे, एस छठे अइक्कमे // 102 // आलोश्यनिदियगरहिओवि . कयपायरिछतणीसल्ली। जयां अयाणमाणो, भवसं. सारं भमे जहा सुसटी // 103 : भयवं। कोरण सो सुसदो 1 कथरा वा सा जयणा 1 जमजाणमायास्स णं तस्स आलोइयनिदियगरहिओत्यस्मावि कथयायच्छिते(मसावि संसारं जो विणिरिठयति 1 गोथमा। जयणा णाम अठारसण्ह सीलगसह. स्साण पतरसविहस्सणं संजमस्स चोहसण्ह भूधगामा तेरसण्ड किरियाठाणायां सबज्झभतरस णं दुवालसविहस्स तवोऽणुराणस्य दुवालसण्ट भिक्षुपडिमाणां दसविहस्सण समणधम्मस्स णवण्ह चेर बंभगुत्तीण अढण्टं तु पवथामाईण सत्तण्ह चेव पा. णपिंडेसणाण घण्हं तु जीवनिकायाणं पचण्ह तु मह. व्वयाण तिग्रह तु चेव गुत्तीण जागा तिण्हमेव सम्म. इंराणनाणचरिताया भिक्खू कतारभिक्याथका-. ईसु aaN सुमहासमुप्पन्नेसु अंतोमुसा वसेसकंठगययाणे सूचि मणसावि उ खंडण विराहणं ण क. २ज्जा ण कारंज्जा ण समाजाणेज्जा जावणं नार RRRRRRRRRRRRs

Page Navigation
1 ... 205 206 207 208 209 210