Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 10
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 149
________________ 獎獎獎獎楚獎獎獎獎獎獎獎獎 श्री भागमसुदासिन्धुः: शमो विभागः ए सुक्कोसियदिति / वेतो तिरिजोणीए, हिंज्जा चउगईए सी // 3 // से भयवं। पावयं कम्म, परं वे३य समुहरे / भणणुभूएण यो मोक्वं, यायच्छितेण किं नहिं ? // 4 // गोथमा। वासकोडीहि, अणेगाहिसं. चियं / तं परिछत्तरपीपुलं, पावं तुहि व विलीय // 5 // घणघोरंध्यार तमतिमिस्सा, जह सूरन्स गोयमा।। पायच्छित्तरविन्सेयं, पावं कम्मं पणस्सए।। ६॥णवरं जातं परितं, जह भणिय तह समुदरे। असदभावो अणिमूहियबलवीरियापुरिस थारपरक्कमे von अन्नं च काउ पच्छितं, सम्वधे णमगुच्चरे / दरूदियसल्लो याप्पेसो, ही चाउगइय अडे // 8 // भयवं! कस्सालोएज्जा' पछित्तं को बटेज वा' कस्सव पच्छित्तं देज्जा' आलीयावेज्जना कहं?॥९॥ गोथमालोधणं ताव, केवलीणं बरसुवि। जोयणसएहिं गंतूण, सुद्ध भावेहि दिज्जए // 10 // ___ चउनाणीगं नयाभाने, एवं भोहि मईसुए 'जस दि मलयरे तम्स, तारतम्मेण दिज्जई॥५१॥ उम्साग पन्नावनस्स, उस्सरी पदिग्यम्स या उस्सगकइणो चेवसक भावंतरोहिंगं // 2 // उवसंतम्स दंतस्स, संजयम्स तसि. यो / समितीगुत्तिपहाणरस, दढचारित्तस्सासहभावियोग आलोएज्जा पछिज्जा, दिज्जा दानिज्ज वा परं / महन्निसं नदिर, पायरितं अणुधरे // 94aa से भय। किनियं तक्स, पच्छितं हवद निम्वियंपायरिछत्तस्स नाणाई, केरझ्याई कहेहि मे // 9 // गोथमा। जं सुसीलाणं,सम. णाणं इसण्ह उ। वालियागयपरिछतं, सजईतं नव गुण // 6 // एक्का पानइ पछितं, जइ सुसीला दटव्वया / अह सीलं विराज्जा, तातं हवा संथगुणं // 9 // तीए पंचेहि था जीवा, जोणीमज्झे निवासियो / सामन्नं नव लवाई, 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎

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