Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 10
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ श्री आगमसुधासिन्यु::: दशमों विभाग:: चिंतिण विनविभी ऊबली - जहा भय अभई जहुतं पायरिंधनं चरामि ना कि पन्नप३मज्म एवं तj सभी कोवलिणा भणियं-जहा - जद की पायधित पयह ना पन-- प्पड़, रज्जाए भणियं. जहा भय। जहा तुम चिय पायच्छिसं पयसि, मन्नी की परिसमहप्याली कवलिणा भ. णिय- जहा दुक्करकारिए। पथच्छामि अहं ते पच्छितं नवरं परितमेव णन्धि जेय ते सुद्धी भरज्जारज्जाए मणिः यं-न्यवं, कि कारणति केवलिणा भणियं-जहाजं ते. संजइवरपुरओ गिराश्यं जहा मम फासुथपाणगपरि भीगेटा सरी विडियंति, एयं च दुटपावमहासमु.. दाएक्कापिंड तुह अयणं सोप्या संवुद्धाभी सवाओ चेव इमाओ सजईओ चिंतियं च श्याहिजहा-निछ. यो विम-धामो फासुगोरगं, तयझवसायस्सालो इयं निहिय गरहियं चेयाहि हिन्नं चमर एयाण' पायतिं 9 / एचएण तयणदीसे ते समः जिय अध्यतमविरसदाला बद्ध युट्ठनिकाइयं तुंग पावरासि त च नए कुठभगदरजलोदरवाउगुम्मसासनि. रोहहरिसागडमालाहि भोगवाहिवेयणा परिंगयसरीमाए हारिद्ददुक्रवद्रोहगमयसमस्याणसंनाबुवेगस डीवियपजालियाय भणहि भवाहणेहि सुरीह कालेणं तु अ. हन्नि साणु भनेय , एएणं कारणेणं एसेमा गोथमा सा सजजिया जाए अगीय पत्त दो से वाथामे तेव ए महत दूवाबापावकम्म समन्जियति 11.0 // भ.गायधनोसेण भावसुदिप पानए, विणा मा वावसुदोए सकसुरमयसो मुणी भत्रे ...6 // अगुथरेकलुख हिययत्त, अगीययनदोसो। काऊण लक्षण - ज्जाए, पत्ता दुक्म परंपरा // 207 // तम्हा तं णा बुद्धेहि, सबमाण सम्वहा / गीयत्येण भविताणं, कायनं

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