Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 10
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 127
________________ 聽聽聽聽聽聽囊囊變變變變變 श्री आगमसुधासि देशमो विभाग: गीवरावणी खणे] / रय्यथरकनदंतुरजत्रानुगत्तपंडुरक्खे, सबहुपवंचभरिए विदलगे // 13 // यो तिरिय च जाती, वाणरहणुमंतकसरी / जहा णं एल गोयना!, नहा णं से बलरूवे // 19 // एनं गोथमा! जे गं असई कथाई ले चुम्लखलिएणं पबाजा से गं अदाणधवाहिए करेजा,से गंसनिहिरा णो धरेज्जा, सेणं आयरेणं णो आलज्जा, सेणं अंडमनोवगरणे नो परिलेटाविज्जा,से गं तस्य यसर्थ नो उहिसेज्जा, से गं तस्म गंधसत्वं नो अगुजाणे ज्जा, से णं तस्स साहिं गुज्झं रहस्सं वाणो मंतिजा एवं गोथमा! जे केई एयदोसविष्णमुक्के से गं पब्बावेजा, नहा गं गोथमा। मिहेसुप्यन्नं अणारियं णी पवाबेज्जा, एवं बेसासुयं नो पब्बावेज्जा, एवं गणियं नोपबावेज्जा,रा एवं चविगलं,एवं विकप्पिथकरचरणं, एवं छिन्नकन्ननासालं, एवं मुहवाहीए सलमाणसडहतं एवं पंगुं अयंगम मयबहिरं, एवं अच्थुक्कड़क.सायं, एवं बहुपासंउसंसदा, एवं घणरागहोसमोहमिछसमल स्वबलियं, एवं उन्मिय उत्तयं, एवं योराणनिक्षुडं, एवं जिणालगाइबहेवबलीकरणभीइयं चक्करय परं), एवं गडगहनामल्ल)पारणं, एवं सुयजइडं चरणकरणजड जड़कायं गो पब्वा ज्जा एवं तु जारणं नामहीयं धामहीयं राइटीयं मुलंहीणं लिहीणं पन्नाहीणं गामडमयहरं वा गामउडमायहरसुयं वा अन्नयरं वा निहियाहमहीणजाइयं वा अविनायनुलसहावं गोथमा! सबला णो विकले योपयानिज्जा 4aa एयसिं तु पयाणं अभयरपए सलेज्जा जो सहसा हेमणपुब्बकोडीववेण गोयम ! सुसेज वाया वावि // 2021 // 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎

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