Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 10
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 141
________________ 聽聽聽聽聽聽聽聽獎獎獎獎獎 श्री भागमसुदासिन्धुः दशमो विभाग: वाहिवेयणापरिगयसरीरी सिडिहिडतो कुठवाहीए परिगलमायो सलसलंतकिमिजालेणं खर्जतो नीहरिओ नरवमयोरक्वनिवासाओ गाभवासाभी गोयमा। सो सावज्जायरियजीवी 29 / तभी सन्रलोहि निरि. ज्जमाणो गरहिज्जमाणी दुगुंछिज्जमाणो विसिज्जमा णी सवलोगपरिभो पाणखाणभोगावभोगपरित्रजिओ गाभवासपभितीए व विचित्तसारीरमाणसिंगधोरतुम्खसंततो सत्त संवच्छरसयाई रो मासे य. चउरो हिण य जाव जीविऊणं मी समाणो उपवन वाण मंतरेखें 30 नभी चुभो उपवन्नो मणुएसुं पुणोषि सूणाहिवताए तभीवितंचकम्मदोसेणं सत्तमाएको वि उव्वरऊणं उपवन्तो तिरिए \ चम्कियघरंसि गो. पत्ताए, तत्य थचक्कसगडलंगलाथरणेणं अहन्निसं जुयारोवणेणं पश्चिमण, कहियरब्दियं बंधसं. मुछिए य किमी ताहे अक्खमी हयं बंध जुयधरणस्स विण्याय प्रहठी वाडिमांरटी यां निकरणं मह उन्नया कालक्कमेणं जहा बंध तहा पश्चिऊंण कु. हिया पट्टी, तथावि संमुरिछए किमी, सडिझण विगयं च पश्चिम्म, ता अकिंचियरं नियमओयणांति णाऊण मीस्कलिओ गोथमा! तेणं चक्किएणं तं सलसतिकिमिजालेहिं गं खज्जमाणं बल्लं सावज्जायरियजीवं 21 // तो मोस्कलिओ समाणी परिसडियपठिचम्मो बहु. कायसागकिमिकुलेहिं सबझाभतरे विलुपमाणो ए. गतीसं संवराई जाव आउयं परिबालेमा मो समायो उरवण्यो अणेगवाहियणापरिगयसरी मणुएखं महाधण्ण-प्स णं भस्स गेले, तथ य वमणवि. रेथणरवारकडुतितकसायनिहलागुग्गलकाटगे आवीथमाणरस निच्चविसोसणाहिं च असझाणुवसम्मघोरवारुण

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