Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
View full book text
________________ भीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् / अध्ययनं. 7 ] [ 409 कोट्टाउत्ताणं पल्लाउत्ताणं जाव पिहियाणं केवतितं कालं जोणी संचिट्ठति ? गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सत्त संवच्छराई, तेण परं जोणी पमिलायती जाव जोणीवोच्छेदे पराणत्ते ॥सू० 572 // बायरग्राउकाइयाणं उक्कोसेणं सत्त वाससहस्साई, ठिती पन्नता 1 / तच्चाए णं वालुयप्पभाते पुढवीए उक्कोसेणं नेरइयाणं सत्त सागरोवमाइंटिती पराणत्ता 2 / चउत्थीतेणं पंकप्पभाते पुटवीते जहन्नेणं नेरइयाणं सत्त सागरोवमाइं ठिती पन्नता, ४॥सू० 473 // सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो वरुणस्स महारनो मत्त अग्गमहिसीतो पन्नत्तायो, ईसाणस्स णं दविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो सत्त अग्गमहिसीतो पन्नत्ता, ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरन्नो जमस्स महारन्नो सत्त अग्गमहिसीथो पन्नत्तानो ॥सू० 574aa ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरन्नो अभितरपरिसाते देवाणं सत्त पलिग्रोवमाई ठिती पन्नत्ता, सक्कस्स णं देविंदस्स देवरन्नो अग्गमहिसीणं देवीणं सत्त पलिग्रोवमाई ठिती पन्नत्ता, सोहम्मे कप्पे परिग्गहियाणं देवीणं उकोसेणं सत्त पलिग्रोवमाइं ठिती पन्नत्ता ॥सू० 575 // सारस्सयमाइचाणं सत्त देवा सत्त देवसता पन्नत्ता, गहतोयतुसियाणं देवाणं सत्त देवा सत्त देवसहस्सा पन्नत्ता // सू० 576 // सणंकुमारे कप्पे उक्कोसेणं देवाणं सत्त सागरोवमाइं ठित्ती पन्नत्ता, माहिंदे कप्पे उक्कोसेणं देवाणं सातिरेगाइं सत्त सारगोवमाई ठित्ती पन्नत्ता, बंभलोगे कप्पे जहरणेणं देवाणं सत्त सागरोवमाइं ठित्ती पन्नत्ता // सू० 577 / / बंभलोयलंततेसु णं कप्पेसु विमाणा सत्त जोयणसत्ताई उड्डे उच्चत्तेणं पन्नत्ता // सू० 578 / / भवणवासीणं देवाणं भवधारणिज्जा सरीरगा उकोसेणं सत्न रयणीयो उड्डे उच्चत्तेणं, एवं वाणमंतराणं एवं जोइसियाणं, सोहम्मीसाणेसु णं कप्पेसु देवाणं भवधारणिजगा सरीरा सत्त रयणीयो उड्ड उच्चत्तेणं पन्नत्ता ॥सू० 579 // णदिस्सरवरस्स णं दीवरस घेतो सत्त दीवा पनत्ता तंजहा-जंबुद्दीवे दीवे, धायइसंडे दीवे पोक्खरवरे वरुणवरे खीरखरे घयवरे क्षोयवरे 1 / गंदीसरवरस्स णं दीवस्स अंतो सत्त समुद्दा

Page Navigation
1 ... 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210