Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
View full book text
________________ 408 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः चंदच्छाये अंगराया 3 रुप्पी कुणालाधिपती 4 संखे कासीराया 5 श्रदीणसत्तू कुरूराता 6 जितसत्तू पंचालराया 7 ॥सू०५६४॥ सत्तविहे दंसणे पन्नत्ते, तंजहा-सम्मदसणे मिच्छदंसणे सम्मामिच्छदंसणे चक्खुदंसणे अचक्खुदंसणे श्रोहिदसणे केवलदंसणे // सू० 565 // छउमत्थवीयरागे णं मोहणिजवजायो सत्त कम्मपयडीयो वेयेति, तंजहा–णाणावरणिज्जं दसणावरणिज्ज वेयणियं पाउयं नामं गोतमंतरातितं // सू० 566 // सत्त ठाणाइं छउमत्थे सबभावेणं न याणति न पासति, तंजहा-धम्मत्थिकायं अधम्मत्थिकायं अागासत्थिकायं जीवं असरीरपडिबद्धं परमाणुपोग्गलं सददं गंध, एयाणि चेव उप्पन्नणाणे जाव जाणति पासति, तंजहा-धम्मत्थिगातं जाव गंधं ॥सू० 567 // समणे भगवं महावीरे वयरोसभणारायसंघयणे समचउरंससंठाणसंठिते सत्त रयणीयो उडढं उच्चत्तेणं हुत्था // सू०५६८ // सत्त विकहायो पन्नत्तायो तंजहा-इथिकहा भत्तकहा देसकहा रायकहा मिउकालुणिता दंसणभेयणी चरित्तभेयणी // सू० 561 // श्रायरियउवज्मायस्स णं गणंसि सत्त अइसेसा पन्नत्ता, तंजहा-पायरियउवज्झाए अंतो उवस्सगस्स पाते णिगिझिय (2) पफोडेमाणे वा पमज्जेमाणे वा णातिकमति, एवं जधा पंचट्ठाणे जाव बाहिं उवरसगरस एगरातं वा दुरातं वा वसमाणे नातिक्कमति, उपकरणातिसेसे भत्तपाणातिसेसे / / सू० 570 // सत्तविधे संजमे पन्नत्ते, तंजहा-पुढविकातितसंजमे जाव तसकातितसंजमे अजीवकायसंजमे 1 // सत्तविधे असंजमे पन्नत्ते, तंजहा-पुढविकातितसंजमे जाव तसकातितसंजमे अजीवकायसंजमे 2 / सत्तविहे श्रारंभे पत्नत्ते, तंजहा-पुढविकातितश्रारंभे जाव अजीवकातारंभे 3 / एवमणारंभेऽवि, एवं सारंभेवि, एवमसारंभेऽवि, एवं समारंभेवि, एवं असमारंभेवि, जाव अजीवकायसमारंभे 4 // सू० 571 // अथ भंते ! अदसिकुसुभकोदवकंगुरागलावराकोदूसगा]सणसरिसवमूला(मूलग)बीयाणं एतेसिं णं धन्नाणं

Page Navigation
1 ... 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210