Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 174
________________ श्रीमत्स्थानागपत्रम् :: अध्ययनं 8 ] [ 423 णं बहुमज्झदेसभाते अट्ठ जोयणाई विक्खंभेगां पन्नत्ते 11 // सू० 640 // धायइसंडदीवे पुरथिमद्धेणां धायतिरुक्खे अट्ट जोयणाई उड्ड उच्चत्तेणं पन्नत्ते, बहुमज्भदेसभाए अट्ठ जोयणाई विक्खंभेणं साइरेगाइं अट्ठ जोयणाई सव्वग्गेणं पनत्ते, एवं धायइरुखातो श्राडवेत्ता सच्चेव जंबूदीववत्तव्वता भाणियव्वा जाव मंदरचूलियत्ति एवं पञ्चच्छिमद्धेवि महाधाततिरुवखातो बाढवेत्ता जाव मंदरचूलियत्ति एवं पुवखरवरदीवड्डपुरच्छिमद्धेवि पउमरुक्खायो बाढवेत्ता जाव मंदरचूलियत्ति एवं पुक्खरखरदीवपञ्चत्थिमद्धेवि महापउमरुक्खातो जाव मंदरचूलितत्ति // सू० 641 // जबूदीवे (2) मंदरे पव्वते भद्दसालवणे अट्ट दिसाहत्थिकूडा पन्नत्ता, तंजहा-पउमुत्तर नीलवंते सुहत्थि अंजणागिरी कुमुते य / पलासते वडिंसे (अट्ठमए) रोयणागिरी // 1 // 1 / जंबूदीवस्स णं दीवस्स जगती अट्ट जोयणाई उखु उच्चत्तेण बहुमज्झ देसभाते अट्ट जोयणाई विक्खंभेणं 2 // सू० 642 // जंबूदीवे (2) मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं महाहिमवंते वासहरपवते अट्ठ कूडा पन्नत्ता, तंजहा-सिद्धे महहिमवंते हिमवंते रोहिता हरीकूडे / हरिकंता हरिवासे वेरुलिते चेव कूडा उ // 1 // 1 / जंबूमंदरउत्तरेणं रुप्पिमि वासहरपब्बते अट्ठ कूडा पन्नता, तंजहा-सिद्धे य रुप्पी रम्मग नरकंता बुद्धि रुप्पकूडे या। हिरण्णवते मणिकंचणे त रुप्पिमि कूडा उ // 1 // 2 / जंबूमंदरपुरच्छिमेणं रुयगवरे पव्वते अट्ठ कूडा पन्नत्ता, तंजहा-रिट्टे तवणिज कंचण रयत दिसासोत्थिते पलंबे य / अंजण ग्रंजणपुलते रुयगरम पुरच्छिमे कूडा // 1 // 3 / तत्थ णं अट्ठ दिसाकुमारिमहत्तरितातो महिड्डियातो जाव पलिग्रोवमट्टितीतातो परिवसंति, तंजहा-णंदुत्तरा य णंदा, पाणंदा णंदिवद्धणा / विजया य वेजयंती, जयंती अपराजिया // 1 // 4 / जंबूमंदरदाहिणेणं रुतगवरे पव्वते अट्ठ कूडा पन्नत्ता, तंजहा-कणते कंचणे पउमे नलिणे ससि दिवायरे चेव / वेसमणे वेरुलिते स्यगस्स उ दाहिणे कूडा // 1 // 5 / तत्थ णं अट्ठ

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