Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 208
________________ श्रीमत्स्थानास्त्रम् / अध्ययनं 10 ] [ 457 वेरुलिते 1 लोहितक्खे 2 मसारगल्ले 3 हंसगन्भे 4 पुलते 5 सोगंधिते 6 जोतिरसे 7 अंजणे 8 अंजणपुलते 1 रतते 10 जातरूवे 11 अंक 12 फलिहे 13 रिट्ठ 14, जहा रयणे तहा सोलसविधा भाणितव्वा 3 // सू० 778 // सव्वेऽवि णं दीवसमुद्दा दसजोयणसताई उव्वेहेणं पराणत्ता 1 / सन्वेऽवि णं महादहा दस जोयणाई उव्वेहेणं पराणत्ता 2 / सव्वेवि णं सलिलकुंडा दसजोयणाई उव्वेहेणं पराणत्ता 3 / सियासीबोया णं महानदीयो मुहमूले दस दस जोयणाई उव्वेहेणं पराणत्तायो 4 // सू०७७१ / / कत्तियाणक्खत्ते सव्वबाहिरातो मंडलातो दसमे मंडले चारं चरति 1 / श्रणुराधानक्खत्ते सव्वन्भंतरातो मंडलातो दसमे मंडले चारं चरति 2 // सू० 780 // दस णक्खत्ता णाणस्स विद्धिकरा पराणत्ता, तंजहामिगसिरमदा पुस्सो तिनि य पुवाई मूलमस्सेसा। हत्थो चित्ता य तहा दस बुद्धिकराई णाणस्स // 1 // सू० 781 // चउप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिताणं दस जातिकुलकोडिजोणिपमुहसतसहस्सा पराणत्ता 1 / उरपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिताणं दस जातिकुलकोडिजोणिपमु. हसतसहस्सा पराणत्ता 2 // सू० 782 // जीवाणं दसठाणनिव्वत्तिता पोग्गले पावकम्मत्ताए चिणिंसु वा (3), तंजहा-पढमसमयएगिदियनिवत्तिए जाव फासिंदियनिव्वत्तिते, एवं चिण उवचिण बंध उदीर वेय तह णिजरा चेव' 1 / दसपतेसिता खंधा अणंता पराणत्ता, दसपतेसोगाढा पोग्गला अणंता पराणत्ता, दससमतठितीता पोग्गला अणंता पराणत्ता, दसगुणकालगा पोग्गला अणंता पराणत्ता, एवं वन्नेहिं गंधेहिं रसेहिं फासेहिं दसगुणलुक्खा पोग्गला अणंता पराणत्ता 2 // सू० 783 // दसमं ठाणं सम्मत्तं 10 // दसमं अज्मयणं सम्मत्तं // 10 // ॥इति दशस्थानकाख्यं दशममध्ययनम् / / 10 // // इति तृतीयं श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् // 3 // (ग्रन्धाग्रं 3700)

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