Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 454 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः तत्थ णं दस महतिमहालया महादुमा पन्नत्ता, तंजहा-जंबू सुदंसणा 1 धायतिरुक्खे 2 महाधायतिक्खे 3 पउमरुक्खे 4 महापउमरुक्खे 5 पंच कूडसामलीयो 10, 2 / तत्थ णं दस देवा महिदिया जाव परिवसंति, तंजहा-श्रणाढिते, जंबुद्दीवाधिपती, सुदंसणे, पियदंसणे, पोंडरीते, महापोंडरीते, पंच गरुला वेणुदेवा 10, 3 // सू. 764 // दसहिं ठाणेहिं योगाढं दुस्प्तमं जाणेजा, तंजहा-अकाले वरिसइ, काले ण वरिसइ, असाहू पूइज्जति साहू ण पूइज्जति, गुरुसु जणो मिच्छं पडिवन्नो, श्रमणुराणा सदा जाव फासा 10, 4 / दसहिं ठाणेहिं योगाढं सुसमं जाणेजा तंजहा-अकाले न वरिसति तं चेव विपरीतं जाव मणुराणा फासा 5 // सू० 765 // सुसमसुसमाए णं समाए दसविहा रुक्खा उपभोगत्ताए हव्वमागच्छंति, तंजहा-मत्तंगता 1 य भिंगा 2 तुडितंगा 3 दीव 4 जोति 5 चित्तंगा 6 / चित्तरसा 7 मणियंगा 8 गेहागारा 1 अणितणा 10 त // सू० 766 // जंबूदीवे (2) भरहे वासे तीताते उस्सप्पिणीते दस कुलगरा हुत्था, तंजहा“सयजले सयाऊ य श्रणंतसेणे त अमि(भि,जि)तसेणे त / तकसेणे भीमसेणे महाभीमसेणे त सत्तमे // 1 // दढरह दसरहे .सयरहे // जंबूदीवे (2) भारहे वासे भागमीसाते उस्सप्पिणीए दस कुलगरा भविस्मंति, तंजहा-सीमंकरे सीमंधरे खेमकरे खेमंधरे विमलवाहणे संमुती पडिसुते दढधणू दसधणू सतधणू // सू० 767 // जंबुद्दीवे (2) मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमेणं सीताते महानतीते उभतो कूले दस वक्खारपव्वता पनत्ता, तंजहा-मालवते चित्तकूडे विचित्तकूडे बंभकूडे जाव सोमणसे 1 / जंबुमंदरपञ्चत्थिमे णं सीयोताते महानतीते उभतो कूले दस वक्खारपव्वता पन्नत्ता, तंजहा-विज्जुप्पभे जाव गंधमातणे, 2 / एवं धायइसंडपुरच्छिमद्धेऽवि वक्खारा भाणिवा जाव पुक्खरखरदीवद्धपचत्थिमद्धे 3 // सू० 768 //

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