Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसत्रम्.:: अध्ययनं 8] [ 421 जोयणाई आयामविक्खंभेणं पन्नत्ता // सू० 626 // उक्कामुहमेहमुहविज्जुमुहविज्जुदंतदीवाणं दीवा अट्ट (2) जोयणसयाई प्रायामविक्खंभेणं पन्नत्ता // सू० 630 // कालोते णं समुद्दे अट्ठ जोयणसयसहस्साई चकवालविक्खंभेणं पन्नत्ते // सू. 631 // अभंतरपुवखरद्धे णं अट्ट जोयणसय. सहस्साई चकवालविक्खंभेणं पन्नत्ता, एवं बाहिरपुक्खरद्धेवि // सू० 632 // एगमेगस्स णं रन्नो चाउरंतचकवट्टिस्स अट्ठसोवन्निते काकिणिरयणे छत्तले दुवालसंसिते अट्टकरिणते अधिकरणिसंठिते पन्नत्ता // सू० 633 // मागधस्स णं जोयणस्स अट्ट धणुसहस्साई निहारे (निहत्ते) पन्नत्ते // सू० 634 // जंबू णं सुदंसणा अट्ट जोयणाई उद्धं उच्चत्तेणं बहुमज्मदेसभाए अट्ट जोयणाई विक्खंभेणं सातिरेगाइं अट्ठ जोयणाई सव्वग्गेणं पन्नत्ता 1 / कूडसामली णं अट्ठ जोयणाई, एवं चेव 2 // सू० 635 // तिमिसगुहा णमट्ट जोयणाई उद्धं उच्चत्तेणं 3 / खंडप्पवातगुहा णं अट्ठ जोयणाई उद्धं उच्चत्तेणं एवं चेव 4 // सू० 636 // जंबूमंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमेणं सीताते महानतीते उभतोकूले अट्ट वक्खारपव्वया पन्नत्ता, तंजहा-चित्तकूडे पम्हकूडे नलिणकूडे एगसेले तिकूडे वेसमणकूडे अंजणे मायंजणे 1 / जंबूमंदरपञ्चच्छिमेणं सीतोताते महानतीते उभतोकूले अट्ठ वक्खारपबता पन्नत्ता, तंजहा-अंकावती पम्हावती अासीवीसे सुहावहे चंदपवते सूरपवते णागपवते देवपवते 2 / जंबूमंदरपुरच्छिमेणं सीताते महानतीते उत्तरेणं अट्ठ चकवट्टिविजया पन्नत्ता, तंजहा-कच्छे सुकच्छे महाकच्छे कच्छगावती श्रावत्ते जाव पुक्खलावती 3 / जंबूमंदरपुरच्छिमेणं सीताते महानतीते दाहिणेणमट्ट चकवट्टिविजया पन्नत्ता, तंजहा-बच्छे सुवच्छे जाव मंगलावती 4 / जंबूमंदरपञ्चच्छिमेण सीतोतामहानदीते दाहिणेणं अट्ठ चकवट्टिविजया पन्नत्ता, तंजहा-पम्हे जाव सलिलावती 5 / जंबूमंदरपचत्थिमेणं सीतोताए महानदीए उत्तरेणं अट्ट चकव

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