Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 197
________________ 446 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : प्रथमो विभागः बायरवणस्सतिकातिताणं उक्कोसेणं दस जोयणसयाई सरीरोगाहणा पण्णत्ता 1 / जलचरपंचेदियतिरिक्खजोणिताणं उक्कोसेणं दस जोयणसताई सरीरोगाहणा पन्नत्ता, 2 / उरपरिसप्पथलचरपंचिंदिततिरिक्खजोणिताणं उक्कोसेणं एवं चेव 3 // सू० 726 // संभवायो णमरहातो अभिनंदणे अरहा दसहिं सागरोवमकोडिसतसहस्सेहिं वीतिक तेहिं समुप्पन्ने ॥सू०७३० // दसविहे अणंतते पन्नत्ते, तंजहा-णामाणंतते ठवणाणंतते दव्वाणंतते गणणाणंतते पएसाणंतते एगतोऽणंतते दूहतोऽणंतते देसवित्थाराणंतते सव्ववित्थाराणंतते सासयाणंतते // सू० 731 // उप्पायपुव्वस्त णं दस वत्थू पन्नत्ता, अत्थिणस्थिप्पवातपुवस्स णं दस चूलवत्थू पन्नत्ता // सू० 732 // दसविहा पडिसेवणा पन्नत्ता, तंजहा-दप्प पमाय णाभोगे ग्राउरे श्रावतीसु त / संकिते सहसकारे भय प्पयोसा य वीमंसा // 1 // 1 / दस बालोयणादोसा पन्नत्ता, तंजहा-श्राकंपइत्ता अणुमाणइत्ता जंदिटुं बायरं च सुहुमं वा / छगणं सदाउलगं बहुजण अव्वत्त तस्सेवी // 1 // 2 / दसहिं ठाणेहिं संपन्ने अणगारे थरिहति अत्तदोसमालोएत्तते, तंजहा-जाइसंपन्ने, कुलसंपन्ने एवं जधा अट्ठाणे जाव खते दंते अमाती अपच्छाणुतावी / दसहिं गणेहिं संपन्ने अणगारे अरिहति बालोयणं पडिच्छित्तए, तंजहा-पायारवं अवहारवं जाव वातदंसी पितधम्मे दधम्मे 4 / दसविधे पायच्छित्ते पन्नत्ते, तंजहा-पालोयणारिहे जाव अणवट्टप्पारिहे पारंचियारिहे // सू० 733 / / दसविधे मिच्छत्ते पन्नते, तंजहा-अधम्मे धम्मसराणा धम्मे अधम्मसराणा उम्म(यम)ग्गे मग्गसराणा, मग्गे उम्म(अम्म)ग्गसन्ना, अजीवेसु जीवसन्ना, जीवेसु श्रजीवसन्ना, असाहुसु साहुसन्ना, साहुसु असाहुसराणा, यमुत्तेसु मुत्तसन्ना, मुत्तेसु अमुत्तसराणा // सू० 734 // चंदप्पभे णं अरहा दस पुवसतसहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे जावप्पहीणे 1 / धम्मे णमरहा दस वाससयसहस्साई सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे जावणहीणे 2 / णमी

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