Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 424 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : प्रथमो विभागः दिसाकुमारिमहत्तरियातो महिड्डियातो जाव पलिग्रोवमट्टितीतातो परिवसंति तंजहा-समाहारा सुप्पतिराणा, सुप्पबुद्धा जसोहरा / लच्छिवती सेसवती, चित्तगुत्ता वसुंधरा॥१॥ 6 / जंबूमंदरपञ्चत्थिमेणं स्यगवरे पव्वते अट्ठ कूडा पन्नत्ता, तंजहा-सोत्थिते त अमोहे य, हिमवं मंदरे तहा। मगे रुतगुत्तमे चंदे, अट्ठमे त सुदंसणे // 1 // 7 / तत्थ णमट्ठ दिसाकुमारिमहत्तरियायो महिड्डियातो जाव पलियोवमट्टितीतातो परिखसंति तंजहा-इलादेवी सुरादेवी पुढवी पउमावती / एगनासा णवमिता, सीता भद्दा त अट्ठमा // 1 // 8 / जंबूमंदरउत्तररुअगवरे पव्वते अट्ठ कूडा पन्नता, तंजहा-रयणे रयणुचते ता, सव्वरयण रयणसंचते चेव / विजये य विजयंते जयंते अपराजिते // 1 // तत्थ णं अट्ठ दिसाकुमारिमहत्तरियातो महडितायो जाव पलिश्रोवमट्टितीतायो परिखसंति तंजहा-अलंबुसा मितकेसी पोंडरि गीतवारुणी। यासा य सव्वगा चेव, सिरी हिरी चेव उत्तरतो // 1 // 10 / अट्ठ अहेलोगवस्थव्वातो दिसाकुमारिमहत्तरितातो पनत्तायो, तंजहा-भोगंकरा भोगवती, सुभोगा भोगमालिणी / सुवच्छा वच्छमित्ता य, वारिसेणा बलाहगा // 1 // 11 / श्रट्ठ उड्डलोगवत्थव्वाश्रो दिसाकुमारिमहत्तरितातो पन्नत्तायो, तंजहामेघंकरा मेघवती, सुमेघा मेघमालिणी। तोयधारा विचित्ता य, पुप्फमाला अणिदिता // 1 // 12 // सू० 643 // अट्ट कप्पा तिरितमिस्सोववन्नगा पन्नत्ता, तंजहा-सोहम्मे जाव सहस्सारे 1 / एतेसु णमट्ट कप्पेसु अट्ठसु इंदा पन्नत्ता, तंजहा-सक्के जाव सहस्सारे 2 / एतेसि णं अट्टराहमिदाणं अट्ठ परियाणिया विमाणा पन्नत्ता, तंजहा-पालते पुप्फते सोमणसे सिरिवच्छे णंदा(दिया)वत्ते कामकमे पीतिमणे विमले 3 // सू० 644 // अट्ठमियाणं भिक्खुपडिमाणं चउसट्ठीते राइदिएहि दोहि य अट्ठासीतेहिं भिक्खासतेहिं ग्रहासुत्ता जाव अणुपालितावि भवति // सू० 615 // अट्ठविधा संसार. समावनगा जीवा पन्नत्ता, तंजहा-पढमसमयनेरतिता अपढमसमयनेरतिता एवं

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