Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ भीमत्स्थानाङ्गवत्रम्.अध्ययनं 6] [ 426 णावरणे अवधिदंसणावरणे केवलदंसणावरणे // सू० 668 // अमिती णं णक्खते सातिरेगे नव मुहुते चंदेण सद्धिं जोगं जोतेति, अभीतिश्रातिश्रा णं णवनक्खत्ता णं चंदस्स उत्तरेणं जोगं जोतेंति, तंजहा-अभीती सवणो धणिट्ठा जाव भरणी ॥सू० 66 // इमीसे णं रयणप्पभाते पुढवीए बहुसमरमणिजायो भूमिभागायो णवजोत्रणसताई उद्धं अबाहाते उ(अ)वरिल्ले तारारुवे चारं चरति // सू० 670 // जंबूदीवे णं दीवे णवजोयणिश्रा मछा पविसिंसु वा पविसंति वा पविसिस्संति वा // सू० 671 // जंबूद्दीवे दीवे भारहे वासे इमीसे श्रोसप्पिणीते णव बलदेववासुदेवपियरो हुत्था तंजहा-पयावती त बंभे य, रोहे सोमे सिवेतिता / महासीहे अग्गिसीहे, दसरह नवमे.य वसुदेवे // 1 // इत्तो थाढत्तं जधा समवाये निरवसेसं जाव एगा से गम्भवसही सिज्झिस्सति थागमेस्सेणं 1 / जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे आगमेस्साए उस्सप्पिणीते नव बलदेववासुदेवपितरो भविस्संति 2 / नव बलदेववासुदेवमायरो भविस्संति एवं जधा समवाते निरवसेसं जाव महाभीमसेण सुग्गीवे य अपच्छिमे 3 / एए खलु पडिसत्तू कित्तीपुरिसाण वासुदेवाणं / सव्वेवि चक्कजोही हम्मेहंती सचक्केहिं // 1 // सू० 672 // एगमेगे णं महानिधी णं णव णव जोयणाई विक्खंभेणं पराणत्ते एगमेगस्स णं रन्नो चाउरंतचकवट्टिरस नव महानिहो पन्नत्ता तंजहा-“णेसप्पे 1 पंडुयए 2 पिंगलते 3 सव्व रयण 4 महापउमे 5 / काले य 6 महाकाले 7 माणवग 8 महानिही संखे 1 // 1 // पप्पंमि निवेसा गामागरनगरपट्टणाणं व / दोणमुहमडवाणं खंधाराणं गिहाणं च // 2 // गणियस्स य बीयाणं माणुम्माणुस्स जं पमाणं च / धनस्स य बीयाणं उप्पत्ती पंडुते भणिया // 3 // सव्वा श्राभरणविही पुरिसाणं जा य होइ महिलाणं / श्रासाण य हत्थीण य पिंगलगनिहिमि सा भणिया // 4 // रयणाई सव्वरयणे चोइस पवराइं चकवट्टिस्स /

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