Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 442 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / प्रथमो विभाग सिंघाणगपारिट्ठावणितासमिती १।दसविधा असमाधी पन्नत्ता,तंजहा-पाणातिवाते जाव परिंग्गहे ईरिताऽसमिती जाव उच्चारपासवणखेलसिंघाणगपारिट्ठावणियाऽसमिती 2 // सू० 711 // दसविधा पव्वज्जा पन्नत्ता, तंजहा-छंदा रोसा परिजुन्ना सुविणा पडिस्सुता चेव / सारणिता रोगिणीता अणाढिता देवसन्नत्ती // 1 // वच्छाणुबंधिता, 1 / दसविधे समणधम्मे पनत्ते तंजहाखंती मुत्ती अजवे मद्दवे लाघवे सच्चे संजमे तवे चिताते बंभचेरवासे 2 / दसविधे वेयावच्चे पन्नत्ते, तंजहा-पायरियवेयावच्चे उवज्झायवेयावच्चे थेरवेयावच्चे तवस्सिवेयावच्चे गिलाणवेयावच्चे सेहवेयावच्चे कुलवेयावच्चे गणवेयावच्चे संघवेयावच्चे साहम्मियवेयावच्चे // सू० 712 // दसविधे जीवपरिणामे पन्नत्ते, तंजहा-गतिपरिणामे इंदितपरिणाम कसायपरिणामे लेसापरिणामे जोगपरिणामे उवयोगपरिणामे णाणपरिणामे दंसणपरिणाम चरित्तपरिणामे वेतपरिणामे 1 / दसविधे अजीवपरिणामे पन्नत्ते, तंजहाबंधणपरिणामे गतिपरिणामे संठाणपरिणामे भेदपरिणामे वगणपरिणामे रसपरिणामे गंधपरिणामे फासपरिणामे अगुरुलहुपरिणामे सद्दपरिणामे // सू० 713 // दसविधे अंतलिविखते असन्माइए पन्नते, तंजहा-उक्कावाते दिसिदाधे गजिते विज्जुते निग्याते जूते जक्खालिने धूमिता महिता रतउग्घाते 1 / दसविहे श्रोरालिते असमातिते पन्नत्ते तंजहा-ट्ठि मंसं सोणिते श्रसुतिसामंते सुसाणमामंते चंदोवराते सूरोवराए पडणे रायबुग्महे उवसयस्स अंतो बोरालिए सरीरगे 2 ॥सू०७१४॥ पंचिंदियाणं जीवाणं अममारभमाणस्स दसविधे संजमे कजति, तंजहा-सोयामतायो सुक्खायो यववरोवेना भवति सोतामतेणं दुक्खेणं असंजोगेत्ता भवति एवं जाव फासामतेणं दुक्खेणं असंजोएत्ता भवति, एवं असंयमोऽवि भाणितव्यो / सू० 715 // दस सुहुमा पन्नत्ता, तंजहा-पाणसुहुमे पणगसुहुमे जाव सिगोहसुहुने गणियसुहुने भंगसुहुमे // सू० 716 // जंबूमंदिरदाहिणेणं गंगासिंधुमहा

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