Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 168
________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययन ] . [117 कम्मपतिट्ठिता अजीवा जीवसंगहीता जीवा कम्मसंगहीता // सू० 600 // अट्ठविहा गणिसंपता पनत्ता, तंजहा-अाचारसंपया सुयसंपता सरीरसंपता वतणसंपता वातणासंपता मतिसंपता पतोगसंपता संगहपरिगणाणाम अट्ठमा / / सू० 601 // एगमेगे णं महानिही श्रट्ठचकवालपतिट्ठाणे अट्ठजोयणाई उद्धं उच्चतेणं पन्नत्ते // सू०.६०२ // अट्ठ समितीतो पन्नत्तायो, तंजहाईरियासमिति भासासमिति * एसणासमिति श्रायाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिति उच्चारपासवणखेलजल्लसिघाणपारिट्ठावणियासमिति मणसमिति बइसमिति कायसमिति // सू० 603 // अट्ठहि ठाणेहिं संपन्ने अणगारे अरिहति बालोतणा पडिच्छित्तए, तंजहा-श्रातारवं श्राहारवं ववहारवं श्रोवीलए पकुव्वते. परिस्साती निजावते अवातदंसी 1 / अट्टहिं गणेहिं संपन्ने अंणगारे अरिहति अत्तदोसमालोइत्तते, तंजहा-जातिसंपन्ने कुलसंपन्ने विणयसंपन्ने णाणसंपन्ने दंसणसंपन्ने चरित्तसंपन्ने खते दंते सू. 604 / अट्टविहे पायच्छित्ते पन्नत्ते तंजहा-बालोयंणारिहे पडिक्कमणारिहे तदुभयारिहे. विवेगारिहे विउस्सग्गारिहे तवारिहे छेयारिहे मूलरिहे // सू० 605 // अट्ट मतट्ठाणा पन्नत्ता तंजहा-जातिमते कुलमते बलमते रूवमते तवमते सुतमते लाभमते इस्मरितमते // सू० 606 // अट्ठ अकिरियावाती पन्नत्ता, तंजहा-एगागती अणेगावाती मितवादी निम्मितवादी सायवाती समुच्छेदवाती णिनावादी ण संति परलोगवाती // सू० 607 // अट्ठविहे महानिमित्ने पनत्ते, तंजहा-भोमे उप्पाते सुविणे अंतलिक्खे अंगे सरे लक्खणे वंजणे // सू० 608 // अट्ठविधा वयणविभत्ती पन्नता, तंजहा-निद्दे से पढमा होती, बीतिया उबतेसणे / ततिता करणंमि कता, चउत्थी संपदावणे // 1 // पंचमी त वाताणे, छट्ठी सस्सामिवायणे। सत्तमी सनिहाणत्थे, अट्ठमी श्रामंतणी भवे // 2 // तत्थ पढमा विभत्ती निद्द से सो इमो अहं वत्ति / बितीता उण उवतेसे

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