Book Title: Agam 45 Anuyogdwar Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar
View full book text
________________
आगम सूत्र ४५, चूलिकासूत्र-२, 'अनुयोगद्वार' सूत्र - १२८
नैगम-व्यवहारनयसंमत अनौपनिधिकी कालानुपूर्वी क्या है ? उसके पाँच प्रकार हैं । -अर्थपदप्ररूपणता, भंगसमुत्की-तनता, भंगोपदर्शनता, समवतार, अनुगम । सूत्र-१२९
नैगम-व्यवहारनयसंमत अर्थपदप्ररूपणता क्या है ? वह इस प्रकार है-तीन समय की स्थिति वाला द्रव्य आनुपूर्वी है यावत् दस समय, संख्यात समय, असंख्यात समय की स्थितिवाला द्रव्य आनुपूर्वी है । एक समय की स्थिति वाला द्रव्य अनानुपूर्वी है । दो समय की स्थिति वाला द्रव्य अवक्तव्यक है । तीन समय की स्थिति वाले अनेक द्रव्य आनुपूर्वियाँ हैं यावत् संख्यातसमयस्थितिक, असंख्यातसमयस्थितिक द्रव्य आनुपूर्वियाँ हैं । एक समय की स्थिति वाले अनेक द्रव्य अनेक अनानु-पूर्वियाँ हैं । दो समय की स्थिति वाले अनेक द्रव्य अनेक अवक्तव्यक रूप हैं । इस नैगम-व्यवहारनयसंमत अर्थपदप्ररूपणता के द्वारा यावत् भंगसमुत्कीर्तनता की जाती है। सूत्र-१३०
नैगम-व्यवहारनयसंमत भंगसमुत्कीर्तनता क्या है ? आनुपूर्वी है, अनानुपूर्वी है, अवक्तव्यक है, इस प्रकार द्रव्यानु-पूर्ववत् कालानुपूर्वी के भी २६ भंग जानना । इस नैगम-व्यवहारनयसंमत यावत् (भंगसमुत्कीर्तनता का) क्या प्रयोजन है ? ईनसे भंगोपदर्शनता की जाती है। सूत्र-१३१
नैगम-व्यवहारनयसम्मत भंगोपदर्शनता क्या है ? वह इस प्रकार है-त्रिसमयस्थितिक एक-एक परमाणु आदि द्रव्य आनुपूर्वी है, एक समय की स्थितिवाला एक-एक परमाणु आदि द्रव्य अनानुपूर्वी है और दो समय की स्थितिवाला परमाणु आदि द्रव्य अवक्तव्यक है । तीन समय की स्थिति वाले अनेक द्रव्य ‘आनुपूर्वियाँ इस पद के वाच्य हैं । एक समय की स्थिति वाले अनेक द्रव्य 'अनानुपूर्वियाँ' तथा दो समय की स्थिति वाले द्रव्य अवक्तव्य' पद के वाच्य हैं । इस प्रकार यहाँ भी द्रव्यानुपूर्वी के पाठानुरूप छब्बीस भंगों के नाम जानना, यावत् यह भंगोपदर्शनता का आशय है। सूत्र-१३२
समवतार क्या है ? नैगम-व्यवहारनयसंमत अनेक आनुपूर्वी द्रव्यों का कहाँ समवतार होता है ? यावत्तीनों ही स्व-स्व स्थान में समवतरित होते हैं। सूत्र - १३३-१३४
अनुगम क्या है ? अनुगम नौ प्रकार का है । सत्पदप्ररूपणा यावत् अल्पबहुत्व । सूत्र-१३५
नैगम-व्यवहारनयसंमत आनुपूर्वी द्रव्य है या नहीं है ? नियमतः ये तीनों द्रव्य हैं । नैगम-व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वी आदि द्रव्य संख्यात हैं, असंख्यात है या अनन्त हैं ? तीनों द्रव्य असंख्यात ही हैं । नैगम-व्यवहारनयसम्मत अनेक आनुपूर्वी द्रव्य क्या लोक के संख्यात भाग में रहते हैं ? इत्यादि प्रश्न है । एक द्रव्य की अपेक्षा लोक के संख्यात भाग में रहते हैं यावत् देशोन लोक में रहते हैं । किन्तु अनेक द्रव्यों की अपेक्षा नियमतः सर्वलोक में रहते हैं। समस्त अनानुपूर्वी द्रव्यों और अवक्तव्य द्रव्यों की वक्तव्यता भी नैगम-व्यवहारनयसम्मत क्षेत्रानुपूर्वी के समान है। इस कालानुपूर्वी में स्पर्शनाद्वार का कथन तथैव क्षेत्रानुपूर्वी जैसा ही जानना ।
नैगम-व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य कालापेक्षया कितने काल तक रहते हैं ? एक आनुपूर्वीद्रव्य की अपेक्षा जघन्य स्थिति तीन समय की और उत्कृष्ट असंख्यात काल की है। अनेक आनुपूर्वीद्रव्यों की अपेक्षा स्थिति सर्वकालिक है । नैगम-व्यवहारनयसंमत अनानुपूर्वीद्रव्य कालापेक्षा कितने काल तक रहते हैं ? एक द्रव्यापेक्षया तो अजघन्य अनुत्कृष्ट स्थिति एक समय की तथा अनेक द्रव्यों की अपेक्षा सर्वकालिक है । नैगम-व्यवहारनयसम्मत
मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (अनुयोगद्वार) आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद'
Page 21