Book Title: Agam 45 Anuyogdwar Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

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Page 29
________________ आगम सूत्र ४५, चूलिकासूत्र - २, 'अनुयोगद्वार' शमिकनिष्पन्न भाव, औदयिकक्षायिक-पारिणामिकनिष्पन्न भाव, औदयिकक्षायोपशमिक-पारिणामिकनिष्पन्न भाव, औपशमिक क्षायिक क्षायोपशमिक निष्पन्न भाव, औपशमिकक्षायिक-पारिणामिकनिष्पन्न भाव, औपशमिकक्षायोपशमिक-पारिणामिकनिष्पन्न भाव, क्षायिकक्षायोपशमिक-पारिणामिकनिष्पन्नभाव | औदयिक-औपशमिक-क्षायिकनिष्पन्नभाव क्या है ? मनुष्यगति औदयिकभाव, उपशांतकषाय औपशमिकभाव और क्षायिकसम्यक्त्व क्षायिकभाव यह औदयिक औपशमिक क्षायिकनिष्पन्नभाव का स्वरूप है । मनुष्यगति औदयिकभाव, उपशांत कषाय औपशमिक और इन्द्रियाँ क्षायोपशमिकभाव, इस प्रकार औदयिक - औपशमिक-क्षायोपशमिकनिष्पन्नभाव का स्वरूप जानना चाहिए । मनुष्यगति औदयिक, उपशांतकषाय औपशमिक और जीवत्व पारिणामिक भाव, इस प्रकार से औदयिक-औपशमिक-पारिणामिकनिष्पन्नभाव का स्वरूप है । मनुष्यगति औदयिक, क्षायिक सम्यक्त्व क्षायिकभाव और इन्द्रियाँ क्षायोपशमिकभाव यह औदयिकक्षायिक क्षायोपशमिकनिष्पन्न सान्निपातिकभाव का स्वरूप है । मनुष्यगति औदयिकभाव, क्षायिक सम्यक्त्व क्षायिकभाव और जीवत्व पारिणामिकभाव इस प्रकार का औदयिक-क्षायिक-पारिणामिकभावनिष्पन्न सान्निपातिकभाव का स्वरूप है । मनुष्यगति औदयिक, इन्द्रियाँ क्षायोपशमिक और जीवत्व पारिणामिक, यह औदयिक क्षायोपशमिकपारिणा-मिकभावनिष्पन्न सान्निपातिकभाव का स्वरूप जानना । उपशांतकषाय औपशमिकभाव, क्षायिकसम्यक्त्व क्षायिकभाव, इन्द्रियाँ क्षायोपशमिकभाव, यह औपशमिक क्षायिक क्षायोपशमिकनिष्पन्न सान्निपातिकभाव हैं । उपशांतकषाय औपशमिकभाव, क्षायिकसम्यक्त्व क्षायिकभाव, जीवत्व पारिणामिकभाव, यह औपशमिक-क्षायिक-पारिणामिकभावनिष्पन्न सान्निपातिकभाव का स्वरूप जानना चाहिए । उपशांतकषाय औपशमिकभाव, इन्द्रियाँ क्षायोपशमिक और जीवत्व पारिणामिक, इस प्रकार से यह औपशमिक क्षायोपशमिकपारिणामिकभावनिष्पन्नसान्निपातिकभाव का स्वरूप जानना । क्षायिकसम्यक्त्व क्षायिकभाव, इन्द्रियाँ क्षायोपशमिकभाव और जीवत्व पारिणामिकभाव, इस प्रकार का क्षायिक क्षायोपशमिक-पारिणामिकभावनिष्पन्न सान्निपातिक भाव का स्वरूप है । चार भावों के संयोग से निष्पन्न सान्निपातिकभाव के पाँच भंगों के नाम इस प्रकार हैं- औदयिक - औपशमिक क्षायिक क्षायोपशमिकनिष्पन्नभाव, औदयिक-औपशमिक क्षायिकपारिणामिकनिष्पन्नभाव, औदयिक-औपशमिक क्षायोपशमिक-पारिणामिकनिष्पन्नभाव, औदयिक क्षायिक क्षायोपशमिकपारिणामिकनिष्पन्नभाव, औपशमिक क्षायिक क्षायोपशमिक-पारिणामिकनिष्पन्न भाव । औदयिक-औपशमिकक्षायिक-क्षायोपशमिक निष्पन्न सान्निपातिकभाव क्या है ? औदयिकभाव में मनुष्य, औपशमिकभाव में उपशांतकषाय, क्षायिकभाव में क्षायिकसम्यक्त्व और क्षायोपसमिकभाव में इन्द्रियाँ, यह औदयिक-औपशमिक क्षायिक क्षायोपशमिकभावनिष्पन्न सान्निपातिकभाव का स्वरूप है । औदयिकभाव में मनुष्यगति, औपशमिकभाव में उपशांतकषाय, क्षायिकभाव में क्षायिकसम्यक्त्व और पारिणामिकभाव में जीवत्व, यह औदयिक औपशमिक क्षायिकपारिणा-मिकभावनिष्पन्न सान्निपातिकभाव का स्वरूप है । औदयिकभाव में मनुष्यगति, औपशमिकभाव में उपशांतकषाय, क्षायोपशमिक भाव में इन्द्रियाँ और पारिणामिकभाव में जीवत्व, इस प्रकार से औदयिक - औपशमिकक्षायोपशमिक-पारिणामिकभावनिष्पन्न सान्निपातिकभाव के तृतीय भंग का स्वरूप जानना । औदयिकभाव में मनुष्यगति, क्षायिकभाव में क्षायिकसम्यक्त्व, क्षायोपशमि - कभाव में इन्द्रियाँ और पारिणामिकभाव में जीवत्व, यह औदयिक क्षायिक- क्षायोपशमिकपारिणामिकभावनिष्पन्न सान्निपातिक-भाव का स्वरूप है । औपशमिकभाव में उपशांतकषाय, क्षायिकभाव में क्षायिकसम्यक्त्व, क्षायोपशमिकभाव में इन्द्रियाँ और पारिणामिकभाव में जीवत्व, यह औपशमिक क्षायिकक्षायोपशमिक-पारिणामिकभावनिष्पन्न सान्निपातिकभाव का स्वरूप है । दीपरत्नसागर कृत् ” (अनुयोगद्वार) आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद* Page 29

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