Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 13
________________ ३०० योगदा ५०. से किं तं लोगुत्तरियं भावसुयं ? लोगुत्तरियं भावसुयं - जं इमं अरहंतेहि भगवंतेहि उप्पण्णनाणदंसणधरेहिं तीय-पडुप्पण्णमणागयजाणएहिं सव्वष्णूहि सव्वदरिसीहि तेलोक्कच हिय' - महिय - पूइएहि' पणीयं दुवालसंगं गणिपिडगं, तं जहा - १. आयारो २. सूयगडो ३. ठाणं ४. समवाओ ५. विमाहपण्णत्ती' ६. नायाधम्मकहाओ ७. उवासगदाओ ८. अंतगडदसाओ . अणुत्तरोववाइयदसाओ १०. पण्हावागरणाई ११. विवागसुयं १२. दिट्टिवाओ' । से तं लोगुत्तरियं भावसुयं । से तं नोआगमओ भावसुयं । से तं भावसुयं ॥ ५९. तस्स णं इमे एगट्टिया 'नाणाघोसा नाणावंजणा" नामधेज्जा भवंति, तं जहा-गाहा - सेतं सुयं ॥ - निक्लेव पदं 'सुय सुत्त" गंथ सिद्धंत, सासणे" आग" वयण उत्रए । आगमे य, एगट्ठा पज्जवा सुत्ते ॥ पण्णवण ५२. से किं तं खंधे ? खंधे चउव्विहे पण्णत्तं तं जहा - नामबंधे " ठवणाखंधे दव्वसंधे भावखंधे || ५३. "से किं तं नामखंधे ? नामखंधे जस्स णं जोवस्स वा अजीवस्स वा जीवाण वा अजीवाण तदुभयस्स वा तदुभयाण वा खंधे त्ति नामं कज्जइ । से तं नामखंधे || ५४. से किं तं ठवणाखंधे ? ठवणाखंधे जण्णं कटुकम्मे वा वित्तकम्मे वा पोत्थकम्मे वा लेप्पकम्मे वा गंथिमे वा वेढिमे वा पूरिमे वा संघाइमे वा अक्खे वा वराडए वा एगो वा अणेगा वा सम्भावठवणाए वा असम्भावठवणाए वा खंधे त्ति ठवणा ठविज्जइ । से तं ठवणाखंधे ॥ ५५. नाम-वणाणं को पइविसेसो ? नाम आवकहियं, ठवणा इत्तरिया वा होज्जा आवकहिया वा° ॥ १. लोगुत्तरियं नोआगमतो ( क, ख, ग ) 1 २. पच्चुत्पन्नमनागत" ( ग ) | ३. तिलुक्क (ग); प्राचीन लिप्यां वकार-चकारयोः सादृश्यात् केषुचिदादर्शेषु 'वहिय' पाठोपि दृश्यते इति ४. इहि अपविरमाणदंसणधरेहिं (क, ख ग); मल्लारिहमचन्द्रेण अस्य पाठान्तरस्य विपये एका टिप्पणी कृता इदं च विशेषणं कस्याञ्चिदेव वाचनायां दृश्यते, न सर्वत्र (हे ) 1 ५. विवाह (क, ख, ग ) । Jain Education International ६. दिट्टिवाओ य (क, ख, ग ) । ७. लोगुतरिय नो आगमतो ( क, ख, ग ) । ८. नाणावंजणा नानाघोसा (चू) । ६. सुत तंत ( चू); सुय सुत्त ( त्रूपा ) 1 १०. सामण ( ख, ग ); पवयणे (हापा, हेपा ) 1 ११. आपत्ति ( ख, ग ) 1 १२. आग मे वि ( क ) | १३. नामक्खधे ( क ) । १४. सं० पा०-- नामदुवणाओ पुग्वभणियाणुक्क मेण भाणिअव्वाओ । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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