Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 61
________________ ३४८ अणुओगदाराइ वीरो रसो जहा सो नाम महावीरो, जो रज्ज पयहिऊण पव्वइओ। काम-क्कोह'-महासत्त-पक्खनिग्घायणं कुणइ ॥२॥ ३११. सिंगाररसलवखणं सिंगारो नाम रसो, रतिसंजोगाभिलाससंजणणो । मंडण-विलास-विब्बोय-हास-लीला-रमणलिंगो ॥१॥ सिंगारो रसो जहा 'महरं विलास-ललियं, हिययुम्मादणकर जुवाणाणं । सामा सदुद्दाम, दाएती मेहलादामं ॥२॥ ३१२. अब्भतरसलक्खणं-- विम्यकरो अपुव्वो, ऽनुभयपुवो य जो रसो होइ ।। हरिसविसायुप्पत्तिलक्षणो' अब्भुओ नाम ॥१॥ अब्भुओ रसो जहा अब्भयतरमिह एत्तो, अन्नं कि अस्थि जीवलोगम्मि । जं जिणवयणेणत्था', तिकालजुत्ता 'वि नज्जति" ॥२॥ ३१३. रोदरसलक्खणं भयजणणरूव-सइंधकार'-चिता-कहासमप्पन्नो संमोह-संभम-विसाय-मरणलिंगो रसो रोहों ॥१॥ रोबो रसो जहा भिउडी-विडंबियमुहा' ! संदट्ठो? ! इय" रुहिरमोकिण्णा" ! । हसि पसुं असुरणिभा"! भीमरसिय ! अइरोद्द ! रोद्दोसि ॥२॥ ३१४. वेलणयरसलक्खणं-- विणओवयार-गज्झ-गरुदार-मेरावइककमपन्नों वेलणओ नाम रसो, लज्जासंकाकरणलिंगों ।।१।। १. कोह (ख, ग)। ८. सईधयार (क); सबंधगार (ग)। २. महुरविलाससललियं (ख, ग)। १. रुद्दो (क) । ३. हियउम्मा (ख); हिउम्मा (ग)। १०. मुहो (क) ४. व भूयपुब्यो (हा)। ११. अइ (ख)। ५. सो हासविसाउप्पत्ति (क) । १२. मोकिष्णा (क); माकिण्णा (हे) । ६. जिणवयणे अत्था (ख, ग)। १४. 'णिभो (ख, ग)। ७. मुणिज्जति (ख, ग)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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