Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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अणुओमदाराई
३५५
पंचनदं, सत्त गया सत्तगयं, नव तुरगा नवतुरगं, दस गामा दसगाम, दस पुराणि'
दसपुरं । से तं दिगू ॥ ३५५. से कि तं तप्पुरिसे' ? तप्पुरिसे—'तित्थे कागो तित्थकागो", वणे हत्थी वणहत्थी,
वणे वराहो वणवराहो, वणे महिसो वणमहिसो ‘वणे मयूरो वणमयूरो" । से तं
तप्पुरिसे॥ ३५६. से कि तं अव्वईभावे" ? अव्वईभावे-'अणुगामं अणुनदीयं अणुफरिहं अणुचरियं"।
से तं अव्वईभावें ॥ ३५७. से किं तं एगसेसे ? एगसेसे--जहा एगो पुरिसो तहा बहवे पुरिसा, जहा बहवे
पुरिसा तहा एगो पुरिसो। 'जहा एगो करिसावणो तहा बहवे करिसावणा, जहा बहवे करिसावणा तहा एगो करिसावणो। जहा एगो साली तहा बहवे साली, जहा
बहवे साली तहा एगो साली 1 से तं एगसेसे । से तं सामासिए॥ ३५८. से किं तं तद्धितए" ? तद्धितए अट्टविहे पण्णत्ते, तं जहा--- गाहा
१. कम्मे" २. सिप्प ३. सिलोए, ४. संजोग ५. समीवओ य ६. संजूहे।
७. 'इस्सरिया ८. वच्चेण" य, तद्धितनामं तु अट्टविहं ॥१॥ ३५६. से किं तं कम्मनामे ? कम्मनामे–'दोसिए सोत्तिए कप्पासिए भंडवेयालिए कोला
लिए"। से तं कम्मनामे ॥ १. पुरा (ग)।
कप्पासिए कोलालिए भंडवेयालिए (क); २. दिगुसमासे (क)।
तणहारए कट्ठहारए पत्तहारए दोसिए (ख, ३. तप्पुरिसे समासे (क)।
ग), अत्र क्वापि 'तणहारए' इत्यादिपाठो ४. तित्थे काओ तित्थकाओ (क)।
दृश्यते, तत्र कश्चिदाह-नन्वत्र तद्धितप्रत्ययो ५. वणे मोरो वण मोरो (ख, ग)।
न कश्चिदुपलभ्यते तथा वक्ष्यमाणेष्वपि 'तुनाए ६. तप्पुरिसे समासे (क)।
तंतुवाए' इत्यादिषु नायं दृश्यते तत्किमित्येवं७. अव्वईभावे समासे (क)।
भूतनाम्नामिहोपन्यासः ? अत्रोच्यते, अस्मादेव ८. अणुणइया अणुगामो अणुफ़रिया अणुचरिया सूत्रोपन्यासात् तृणानि हरति-वहतीत्यादिक:
कश्चिदाद्यव्याकरणदृष्टस्तद्धितोत्पत्तिहेतुभूतोऽथों ६. अव्वईभावे समासे (क)।
द्रष्टव्यः, ततो यद्यपि साक्षात्तद्धितप्रत्ययो १०. द्रष्टव्यम्-सू० ५२८ ।
नास्ति तथापि तदुत्पत्तिनिबन्धनभूतमर्थमाश्रि११. एवं करिसावणो साली (क)।
स्येह तनिर्देशो न विरुध्यते, यदि तद्धितोत्पत्ति१२. समासिए (क)।
हेतुरर्थोस्ति तहि तद्धितोपि कस्मानोत्पद्यत इति १३. तद्धियए (क)।
चेत् ? लोके इत्थमेव रूढत्वादिति ब्रमः, १४. कम्म (क)।
अथवा अस्मादेवाद्यमुनिप्रणीतसूत्रज्ञापकादेवं १५. संबूहे (हा) सर्वत्र । १६. इस्सरिअ अवच्चेण (ग)।
जानीया:-तद्धितप्रत्यया एवामी केचित् प्रति१७. तणहारए कट्टहारए पत्तहारए दोसिए सोत्तिए प्रत्तन्या इति (हे).
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