Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 17
________________ ३.४ अणुबोगदाराई ७६. नाम-ट्टवणाणं को पइविसेसो ? नामं आवक हियं, ठवणा इत्तरिया वा होज्जा आवकहिया वा ॥ ५०. से कि तं दव्वोवक्कमे ? दव्वोवक्कमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-आगमओ य नोआग मओ य॥ ८१. से कि तं आगमओ दव्वोवक्कमे ? आगमओ दव्वोवक्कमे - जस्स णं उवक्कमे त्ति पदं सिक्खियं ठियं जियं मियं परिजियं नामसमं घोससमं अहोणक्खरं अणच्चक्खरं अव्वाइद्धक्खरं अक्ख लियं अमिलियं अवच्चामेलियं पडिपुण्णं पडिपुग्णघोसं कंठो?विष्पमुक्कं गुरुवायणोवगयं, से णं तत्थ वायणाए पुच्छणाए परियट्टणाए धम्मकहाए, नो अणुप्पेहाए । कम्हा ? अणुवओगो दव्व मिति कटु ।। ८२. नेगमस्स एगो अणुवउत्तो आगमओ एगे दव्वोवक्कमे, दोणि अणुव उत्ता आग मओ दोणि दन्वोवक्कमाइं तिणि अणुव उत्ता आगमओ तिणि दव्वोवक्कमाई एवं जावइया अणुवउत्ता तावइयाइं ताई नेगमस्स आगमओ दबोवक्कमाई । एवमेव ववहारस्स वि ! संगहस्स एगो वा अणेगा वा अणुवउत्तो वा अणुवउत्ता वा आगमओ दव्वोवक्कमे वा दव्योवक्कमाणि वा, से एगे दवोवक्कमे । उज्जुसुयम्स एगो अणुवउत्तो आगमओ एगे दव्वोवक्कमे, पहत्त नेच्छइ। तिण्हं सहनयाणं जाणए अणवउत्ते अवस्थ। कम्हा? जइ जाणए अणव उत्ते न भवइ। से तं आगमओ दव्वोवक्कमे ॥ ८३ से कि तं नोआगमओ दव्वोवक्कमे ? नोआगमओ दम्वोवक्कमे तिविहे पण्णत्ते, तं जहा- जाणगसरीरदबोवक्कमे भवियसरीरदव्वोवक्कमे जाणगसरीर-भवियसरीर वतिरित्ते दम्वोवक्कमे ।। ८४.से कितं जाणगसरीरदब्वोवक्कमे? जाणगसरीरदचोक्कमे-उवक्कमे त्ति पयत्या हिगारजाणगस्स जं सरीरयं ववगय-चुय-चाविय-चत्तदेहं जीवविप्पजदं सेज्जागयं वा संथारगयं वा निसीहियागयं वा सिद्धसिलातलगयं वा पासित्ताण कोइ वएज्जाअहो णं इमेण सरीरसमुस्सएणं जिणदिठेणं भावेणं उवक्कमे ति पयं आपवियं पण्णवियं परूवियं दसियं निदंसियं उवदंसियं । जहा को दिळंतो? अयं महुकुंभे आसी, अयं घयकुंभे आसी। से तं जाणगसरीरदव्वोवक्कमे ।। ८५. से कि तं भवियसरीरदव्वोवक्कमे ? भवियसरीरदव्वोवक्कमे-जे जीवे जोणिजम्मण निक्खते इमेणं चेव आदत्तएणं सरीरस मुस्सएणं जिणदिट्टेणं भावेणं उवक्कमे ति पयं सेयकाले सिक्खिस्सइ, न ताव सिक्ख । जहा को दिलुतो ? अयं महुकुंभे भवि... ,स्सइ, अयं घयकुंभे भविस्सइ । से तं भवियसरोरदब्बोदक्कमे ।। ८६. से कि तं जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्ते दम्वोवक्कमे ? जाणगसरीर-भवियः सरीर-वतिरित्ते दव्वोवक्कमे तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-सचित्ते अचित्ते मीसए ।। ८७. से कि त सचित्ते दम्वोवक्कमे ? सचित्ते दम्वोवक्कमे तिविहे पण्णत्ते, तं जहा -. १. सं० पा०-नोआगमओ य जाव जाणगसरीर । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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