Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 50
________________ अणुओगदाराई ३३७ कम्मविप्पमुक्के, ‘खीणकोहे' खीणमाणे खीणमाए° खीणलोहे खीणपेज्जे खोणदोसे खीणदंसणमोहणिज्जे खीणचरित्तमोहणिज्जे अमोहे निम्मोहे' खीणमोहे मोहणिज्जकम्मविप्पमक्के, खीणनेरइयाउए 'खीणतिरिक्खजोणियाउए खीणमणस्साउए खीणदेवाउए" 'अणाउए निराउए खीणाउए आउकम्मविप्पमुक्के", गइ-जाइसरीरंगोवंग - 'बंधण - संघाय-संघयण - संठमण' - अणेगबोंदिवंदसंघायविप्पमुक्के खीणसुभनामे खीणअसुभनामे अणामे निण्णामे खोणनामे सुभासुभनामकम्मविप्पमुक्के', खीणउच्चागोए खीणनीयागोए अगोए निगोए" खीणगोए सुभासुभगोत्तकम्मविप्पमुक्के", खीणदाणंतराए २ 'खीणलाभंतराए खीणभोगंतराए खीणउवभोगंतराए स्खीणवीरियंतराए" अणंतराए निरंतराए खीणंतराए अंतरायकम्मविप्पमुक्के, सिद्धे बुद्धे मुत्ते परिनिव्वुडे" अंतगडे सव्वदुवखप्पहीणे । से तं खयनिप्फण्णे। से तं खइए। २८३. से कि तं खओवसमिए ? खओवसमिए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा–खोवसमे य खओवसमनिप्फणे य ॥ २८४. से कि तं खओवसमे ? खओवसमे-चउण्हं घाइकम्माणं खओवसमे णं-नाणा वरणिज्जस्स दंसणावरणिज्जस्स मोहणिज्जस्स अंतरायस्स'६ 'खओवसमे णं से तं खओवसमे ॥ २८५. से कि तं खओवसमनिप्फण्णे ? खओवसमनिप्फण्णे अणेग विहे पण्णसे, तं जहा 'खओवस मिया आभिणिबोयिनाणलद्धी, खओवस मिया सुयनाणलद्धी, खओवसमिया ओहिनाणलद्धी, खओक्समिया मणपज्जवनाणलद्धी; खओवस मिया मइअन्नाणलद्धी, खओवसमिया सयअन्नाणलद्धी, खओवस मिया विभंगनाणलद्धी; खओवस मिया चक्खुदंसणलद्धी, खओवसमिया अचक्खुदंसणलद्धी, खओवसमिया ओहिदसणलद्धी; खओवसमिया सम्मदंसणलद्धी, खओवसमिया मिच्छादसणलद्धी, खओवसमिया सम्ममिच्छादंसणलद्धी; खओवसमिया सामाइयचरित्तलद्धी, खओवसमिया छेदोवट्ठावणचरित्तलद्धी, खओवसमिया परिहारविसुद्धियचरित्तलद्धी, १. सं० पा०-खीणकोहे जाव खीणलोहे । ८. अणेगबोदिबिंद (ख, ग)। २. वीणदसणमोहणिज्जे खीणचरितमोहणिज्जे . नामविप्पमुक्के (क, हे) । खीणकोहे जाव खीणलोहे खीणपेज्जे खीणदोसे १०. निग्नहोए (ख, ग)। (ख, ग)। ११. उच्चनीयगोत्त' (ख, ग)। ३. निमोहे (क)। १२. खीणदाणंतराइए (क)। ४. एवं तिरियमणुयदेवाउए (क)। १३. एवं लाभभोगउवभोगवीरियंतराए (क)। ५. अजाउए जाव विप्पमुक्के (क) । १४. परिणिन्दुए (ख, ग)। ६.x (ग)। १५. णं तं जहा (ख, ग, हे) । ७. x (हा); एतच्च बन्धनादिपदत्रयं क्वचिद्वा- १६. अंतराइयस्स (क)। चनान्तरे न दृश्यते (हे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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