Book Title: Agam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Stahanakvasi Author(s): Devvachak, Madhukarmuni, Kamla Jain, Shreechand Surana Publisher: Agam Prakashan SamitiPage 10
________________ प्रकाशकीय श्री नन्दीसूत्र का यह तृतीय संस्करण पाठकों के हाथों में है। इस सूत्र का अनुवाद और विवेचन श्रमणसंघीय प्रख्यात विदुषी महासती श्री उमरावकुँवरजी म. 'अर्चना' ने किया है। महासती "अर्चना" जी से स्थानकवासी समाज भलीभांति परिचित है। आपके प्रशस्त साहित्य को नर-नारी बड़े ही चाव से पढ़ते-पढ़ाते हैं। प्रवचन भी आपके अन्तर्तर से विनिर्गत होने के कारण अतिशय प्रभावोत्पादक, माधुर्य से ओत-प्रोत एवं बोधप्रद हैं। प्रस्तुत आगम का अनुवाद सरल और सुबोध भाषा में होने से स्वाध्यायप्रेमी पाठकों के लिये यह संस्करण अत्यन्त उपयोगी होगा, ऐसी आशा है। प्रस्तुत सूत्र परम मांगलिक माना जाता है। हजारों वर्षों से ऐसी परम्परा चली आ रही है। अतएव साधु-साध्वीगण इसका सज्झाय करते हैं, अनेक श्रावक भी। उन सबके लिए न अधिक विस्तृत, न अधिक संक्षिप्त. मध्यम शैली में तैयार किया गया यह संस्करण विशेषतया बोधप्रद होगा। समिति अपने लक्ष्य की ओर यथाशक्य सावधानी के साथ किन्तु तीव्र गति से आगे बढ़ रही है। आगम बत्तीसी के प्रकाशन का कार्य पूर्ण हो गया है तथा अप्राप्य शास्त्रों के तृतीय संस्करण मुद्रित हो रहे हैं। यह सब श्रमणसंघ के स्व. युवाचार्य पण्डितप्रवर मुनि श्री मिश्रीमलजी म.सा. "मधुकर'' के कठिन श्रम और आगमज्ञान के अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार के प्रति तीव्र लगन तथा गम्भीर पाण्डित्य के कारण सम्भव हो सका है। अन्त में जिन-जिन महानुभावों का समिति को प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप में सहयोग प्राप्त हुआ या हो रहा है, उन सभी के प्रति हम हार्दिक आभार व्यक्त करना अपना कर्त्तव्य समझते हैं। सागरमल बैताला अध्यक्ष रतनचंद मोदी कार्याध्यक्ष जी. सायरमल चोरड़िया महामंत्री ज्ञानचंद विनायकिया मंत्री श्री आगमप्रकाशन समिति, ब्यावर (राजस्थान) (७)Page Navigation
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