Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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सोलसमं अभयणं (बम्भचे रसमाहिठाणं )
१. जं
भवंति इत्थ सिलोगा, तं जहाविवित्तमणाइण्णं रहियं थीजणेण य । बंभचेरस्स रक्खट्ठा आलयं तु
निसेवए ॥
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२. मण पल्हायजणणि कामरागविवढणि बंभररओ भिक्खु थीकहं तु ३. समं च संथवं थीहि संकहं च बंभचेररओ भिक्खू निच्चसो ४. अंगपच्चंगसंठाणं चारुल्ल वियपेहिय
५. कुइयं
नाशुचिते
बंभचेररओ थीणं' रुइयं गीयं बंभचेररओ थीण ६. 'हासं किड्डुं रई दप्पं बंभचेररओ थीणं ७. पणीयं भत्तपाणं तु खिष्पं बंभचेररओ भिक्खू निच्चसो ८. धम्मलद्धं मियं काले जत्तत्थं नाइमत्तं तु भुंजेज्जा बंभचेररओ ६. विभूसं परिवज्जेज्जा सरीरपरिमंडगं बंभचेररओ भिक्खू सिंगारत्थं न १०. सद्दे रूवे य गंधे य रसे फासे पंचविहे कामगुणे निच्चसो ११. आलओ थीजणाइण्णो थीकहा
।
विवज्जए ॥ अभिक्खणं ।
परिवज्जए ||
1
चक्खुगिज्झ विवज्जए ॥ हसियं थणियकंदियं । सोयगिज्भं विवज्जए || सहसावत्तासियाणि य" । कयाइ वि ।। मयवित्रड्ढणं ।
परिवज्जए ।
पणिहाणवं ।
सया ||
1
धारए || तहेव य । परिवज्जए ।
य मणोरमा ।
संथवो चेव नारीणं तासि इंदियदरिसणं || 'हसियं भुत्तासियाणि" य । अइमायं' पाणभोयणं ॥ कामभोगा य दुज्जया । विसं तालउड जहा ॥ निच्चसो परिवज्जए । वज्जेज्जा' पणिहाणवं ॥
१२. कुइयं रुइयं गीयं पणीयं भत्तपाणं च १३. गत्तभूसण मिट्ठ नरस्तगवे सिस्स
च
१४. दुज्जए कामभोगे य संकट्ठाणाणि सव्वाणि
१. भिक्खु (ऋ) ।
२. सहभुत्ता ( अ ) ; सहसावित्ता (ऋ) ; सहसा + अवत्तासियाणि सहसावत्तासियाणि ।
३. हस्सं दप्पं रई किड्ड सहमुत्ता ( बृपा ) 1 ४. च (अ) 1
५. धम्मं लक्षं (बु) धम्मलधुं, धम्मलद्ध
( बृपा) ।
६. नारिहि (ऋ) ।
७. सहमुच्चा ( अ ) 1
८. अमाणं (ऋ) 1
९. वज्जिया (ऋ)
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