Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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२२५
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२७. गंधओ जे भवे सुब्भी रसओ फासओ चैव २८. गंधओ जे भवे दुब्भी
रसओ फासओ चैव २६. रसओ तित्तए जे उ
गंधभ फासओ चैव ३०. रसओ कडुए जे उ
गंधओ फासओ चेव ३१. रसओ कसा जे उ
गंधओ फासओ चेव ३२. रसओ अंबिले जे उ
गंधओ फासओ चैव ३३. रसको महुरए जे उ
गंधओ फासओ चैव ३४. फासओ कक्खडे जे उ
गंधओ रसओ चैव ३५. फासओ मउए जे उ
गंघओ रसओ चैव ३६. फासओ गुरु जे उ
गंधओ रसओ चेव ३७. फासओ लहुए जे उ
गंधओ रसओ चेत्र ३८. फासओ सीयए जे उ
गंधभो रसओ चैव ३९. फासओ उण्हए जे उ
गंधओ रसओ चैव ४०. फासओ निद्धए जे उ
गंध रसओ चैव ४१. फासो लुक्खए जे उ
गंधओ रसओ चैव ४२. परिमंडल संठाणे
गंधओ रसओ चेव
४३. संठाणभ भवे गंधओ रसओ
वट्टे
चेव
भइए से उ वण्णओ । भइए संठाणओ विय ॥ भइए से उ वण्णओ । भइए संठाणओ विय ॥ भइए से उ वण्णो । भइए संठाणओ विय ॥ भइए से उ वण्णओ । भइए संठाणओ वि य ॥ भइए से उ वण्णओ । भइए संठाणओ विय ॥ भइए से उ वण्णओ । भइए संठाणओ विय ॥ भइए से उ वण्णओ । भइए संठाणओ विय ॥ भइए से उ वण्णओ । भइए संठाणओ विय ॥ भइए से उ वण्णओ । भइए संठाणओ विय ॥ भइए से उ वण्णओ । भइए संठाणओ वि य ।। भइए से उ वण्णओ । भइए संठाणओ विय ॥। भइए से उ वण्णओ । भइए संठाणओ विय ॥ भइए से उ वण्णओ । भइए संठाणओ विय ॥ भइए से उ वण्णओ । भइए संठाणओ विय ॥। भइए से उ वण्णओ । भइए संठाणओ विय ॥ भइए से उ वण्णभो । भइए फासओ विय ॥ भइए से उ वण्णओ । भइए फासओ विय ॥
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उत्तरभयनाणि
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