Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 144
________________ छत्तीसइमं अज्झयणं (जीवाजीवविभत्ती) २२७ ११. एगत्तण पुहत्तेण खंधा य परमाणणो । लोएगदेसे लोए य भइयव्वा ते उ खेतो।। १२. संतई पप्प तेणाई' अपज्जवसिया वि य । ठिई पड्डच्च साईया सपज्जवसिया वि य ॥ १३. असंखकालमुक्कोसं 'एगं समयं जहनिया' । अजीवाण' य रूवीणं ठिई एसा वियाहिया ॥ १४. अणंतकालमुक्कोसं एगं , समयं जहन्नयं । _अजीवाण य रूवीण अंतरेयं वियाहियं ॥ १५. वण्णओ गंधओ चेव रसओ फासओ तहा । संठाणओ य विन्नेओ परिणामो तेसि पंचहा ॥ १६. वण्णओ परिणया जे उ पंचहा ते पकित्तिया । किण्हा नीला य लोहिया हालिद्दा सुविकला तहा ।। १७. गंधओ परिणया जे उ विहा ते वियाहिया । सब्भिगंधपरिणामा दब्भिगंधा तहेव य॥ १८. रसओ परिणया जे उ पंचहा ते पकित्तिया । तितकडुयकसाया अंबिला महुरा तहा ॥ १६. फासओ परिणया जे उ अट्ठहा ते पकित्तिया । ___कक्खडा मउया चेव गरुया लहुया तहा ॥ २०. सीया उण्हा य निद्धा य तहा लुक्खा य आहिया। इइ फासपरिणया एए पुग्गला समुदाहिया ॥ २१. संठाणपरिणया जे उ पंचहा ते पकित्तिया । परिमंडला 'य वट्टा" तंसा चउरंसमायया ॥ २२. वण्णओ जे भवे किण्हे भइए से उ गंधओ। रसओ फासओ चेव भइए संठाणओ वि य ।। २३. वण्णओ जे भवे नीले भडए से उ गंधओ। रसओ फासओ चेव भइए संठाणओ वि य ।। २४. वण्णओ लोहिए जे उ भइए से उ गंधओ । रसओ फासओ. चेव भइए संठाणओ वि य ॥ २५. वण्णओ पीयए जे उ भइए से उ गंधओ । रसओ फासओ चेव भइए संठाणओ वि य ।। २६. वण्णओ सुक्किले जे उ भइए से उ गंधओ। रसओ फासओ चेव भइए संठाणओ वि य ॥ १. ते + अणाई तेणाई। ३. अजीवणं (उ)। २. इवको समओ जहन्निया (उ); एगो समओ ४. वट्टा य (ऋ) । जहषयं (ऋ)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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