Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 139
________________ " 11 २२२ उत्तरज्झयणाणि ३७. 'मुहुत्तद्धं तु" जहन्ना दोउदही पलियमसंखभागमभहिया । उक्कोसा होइ ठिई नायव्वा तेउलेसाए । ३८. 'मुहुत्तद्धं तुरे जहन्ना दस 'होंति सागरा मुहुत्तहिया" । उक्कोसा होइ ठिई नायव्वा पम्हलेसाए ।। ३६. 'मुहुत्तद्धं तु” जहन्ना तेत्तीसं सागरा मुहुत्तहिया । उक्कोसा होइ ठिई नायव्वा सुक्कलेसाए । ४०. एसा खलु लेसाणं आहेण ठिई उ वणिया होइ । चउसु वि गईसु एत्तो लेसाण ठिइं तु वोच्छामि ।। ४१. दस वाससहस्साई काऊए ठिई जहन्निया होइ । 'तिण्णुदही पलिओवम असंखभागं च उक्कोसा ॥ ४२. तिण्णुदही पलिय- मसंखभागा जहन्नेण नीलठिई । दस उदही 'पलिओवम असंखभागं च उक्कोसा ।। ४३. 'दस उदही 'पलिय- मसंखभाग" जहनिया होइ । तेत्तीससागराइं उक्कोसा होइ ४४. एसा नेरइयाणं लेसाण ठिई उ वण्णिया होइ । तेण परं वोच्छामि तिरियमणुस्साण देवाणं ।। ४५. अंतोमुत्तमद्धं लेसाण ठिई जहिं जहिं जा उ । तिरियाण नराणं वा' वज्जित्ता केवलं लेसं ।। ४६. मुहुत्तद्धं तु जहन्ना उक्कोसा होइ पुवकोडी उ । नवहि वरिसे हि ऊणा नायव्वा सुक्कलेसाए । ४७. एसा तिरियनराणं लेसाण ठिई उ वणिया होइ । तेण परं वोच्छामि लेसाण ठिइ उ देवाणं ।। ४८. दस वाससहस्साइं किण्हाए ठिई जहन्निया होइ । पलियमसंखिज्ज इमो उक्कोसा होइ किण्हाए ।। ४६. जा किण्हाए ठिई खल उक्कोसा सा उ समयमन्भहिया । जहन्नेणं नीलाए 'पलियमसंखं तु"" उक्कोसा ।। १. मुहुत्तद्धा उ (वृपा)। ७. पलियमसंखं भागं च (उ)। २. मुहुत्तद्धा उ (बृपा)। ८. 'अ' प्रतों असो गाथा भिन्नरूपेण दश्यते३. उदही हुंति मुत्तममहिया (उ, ऋ)। दस उदही पलियमसंख भागं च जहन्नेण कण्ह ४. मुहत्तद्धा उ (बृपा)। लेसाए। ५. तिण्णु दही पलियमसंखभागं च उक्कोसा (स); तेत्तीस सागराई मुहत्त अहिया उ उक्कोसा ।। तिण्णुदही पलियमसंखेज्जभागं च उक्कोसा . च (उ, ऋ); तु (बृ) । (ब); उवकोसा तिन्नुवही पलियमसंखेज्ज- १०. पलियमसंखं च (उ, ऋ): पलियमसंखिज्ज भागहिया (बृपा)। ६. पलिअ असंखभाग (उ, ऋ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161