Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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तीसइमं अभयणं तवमग्गगई
१. जहा उ पावगं कम्मं खवे
रागदोससमज्जियं
तवसा भिक्खु तमेगग्गमणो २. पाणवहमुसावाया' अदत्तमेहुणपरिग्गहा राईभोयणविरओ जीवो भवइ
३. पंचसमिओ
तिगुत्तो अकसाओ अगारवो य निस्सल्लो जीवो होइ ४. एएसि तु विवच्चासे' रागद्दोससमज्जिय 'जहा खवयइ भिक्खु" 'तं मे एगमणो" ५. जहा महातलायस्स सन्निरुद्धे उचिणा सोसणा तवणाए कमेणं ६. 'एवं तु" संजयस्सावि पावकम्मनिरासवे भवकोडो संचियं कम्मं तवसा
७. सो तवो दुविहो वृत्तो बाहिरो छव्विहो वृत्तो
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८. अणसणमूणोयरिया काय कलेसो संलीणया C. इत्तिरिया
इत्तिरिया
मरणकाले' सावकखा
१. पाणिवह मुसावाए (उ, ऋ)
२. विवज्जासे (बु) 1
३. खवेइ जं जहां कम्मं (उ, ऋ) ; खवेइ तं जहा भिक्खू (बृ ) |
४. तं मे एगमणा ( स ) ; तमेगग्गमणो (सु) ।
1
सुण ॥ विरओ ।
अणासवो ॥
जिइंदिओ ।
अणासवो |
I
सुण ॥ जलागमे । भवे ॥
1
निज्जरिज्जइ ॥
बाहिरूभंतरो एवमब्भंतरो
भिक्खायरिया य रसपरिच्चाओ । य बज्भो तवो होई ॥
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तहा । तवो ॥
'दुविहा अणसणा" भवे । निरवकंखा' बिइज्जिया ॥
५. एमेव ( अ ) ।
६. कालाय (उ, ऋ) 1
७. अणसणा दुविहा ( उ, ऋ, बू)
८. निरवखा उ (सु) ; निरकंखा उ (बु) : निरवकंखा (बृपा) ।
२०३
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