Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 121
________________ २०४ १०. जो सो इत्तरियतवो सो समासेण छविहो । सेढितवो पयरतवो घणो य 'तह होइ वग्गो य" ॥ ११. तत्तो य वग्गवग्गो उ पइण्णतवो । इत्तरिओ || पंचमो छुट्टओ मणइच्छियचित्तत्थो नायव्वो होइ १२. जा सा अणसणा मरणे दुविहा सा कायचिट्ठ पई भवे ॥ वियाहिया । सवियारअवियारा' १३. अहवा 'सपरिकम्मा अपरिकम्मा" य आहिया आहारच्छेओ य दोसु वि ॥ नीहारिमणीहारी १४. ओमोयरियं * पंचहा समासेण वियाहियं । खेडे tt 'दव्वओ खेत्तका लेणं" भावेणं' पज्जवेहि १५. जो जस्स उ आहारो तत्तो ओमं" तु जो जहन्नेगसित्थाई एवं दव्वेण ऊ १६ गामे नगरे तह रायहाणि-निगमे य आगरे पल्ली । कब्बडदो मुह-पट्टणम डंबरांबाहे १७. आसमपए विहारे सन्निवेसे समायघोसे य । सत्थे संवट्टकोट्टे १८. वाडेसु व रच्छासु व घरेसु वा एवमित्तियं एवमाई एवं खेत्तेण अपेडा गोमुत्तिपयंगवी हिया थलिसेणाखंधारे कप्पइ ऊ १६. पेडा य संबुक्कावट्टाययगंतु २०. दिवस स पोरुसीणं एवं चरमाणो खलु २१. अहवा तइयाए पोरिसीए २३. अन्नेन उ चउभागूणाए वा २२. इत्थी वा पुरिसो वा अन्नयरवयत्थो २४. दव्वे Jain Education International एवं चरमाणो खेत्ते एएहि १. वग्गो चउत्थो उ ( अ ) । २. सविवारमवियारा (उ, ऋ, सु, ब्) । ३. पडिकम्मा अपडिकम्मा ( अ ) 1 ४. ओमोयरणं ( अ, ऋ, बृपा) । ५. खेत काले य ( अ ) खितत्र काले (ऋ) । ; एवं कालेण ऊ भवे ॥ अलंकिओ वाणलंकिओ वा वि । वा अन्नयरेणं व वत्थेणं ॥ विसेसेणं वण्णेणं भावमणुमुयंते उ । खलु भावोमाणं aar" | काले भावम्मिय आहिया उ जे भावा । ओमचरओ पज्जवचरओ भवे भिक्खू || य ॥ करे । भवे ॥ य ।। खेत्तं । भवे ॥ चेव । पच्चागया छट्ठा ॥ चउण्हं पि उ जत्तिओ भवे काले । कालोमाणं मुणेव्व ॥ घासमेसंतो ऊणाइ For Private & Personal Use Only उत्तरज्झयणाणि ६. भावओ ( अ ) । ७. ऊणं ( अ ) 1 ८. संबुक्काट्टा + आगंतुं संबुक्कावट्टाययगतं । ६. मुणेयब्वं (उ, ऋ) । १०. मुणेयव्वं (उ, ऋ) । www.jainelibrary.org

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