Book Title: Agam 26 Chhed 03 Vyavahara Sutra Vavaharo Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text
________________
ववहारो
तमेव गणं उवसंगज्जित्लाणं विहरित्तए, अत्थियाई त्थ केइ सेसे, पुणो आलोएज्जा
पुणो पडिक्कमेज्जा पुणो छेय-परिहारस्स उवट्ठाएज्जा ।। परपासंडलिंगरगहण-पदं ३१. भिक्खू य गणाओ अवक्कम्म परपासंडपडिम उवसंपज्जित्ताणं विहरेज्जा, से य
इच्छज्जा दोच्चं पि तमेव गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, 'नत्थि णं" तस्स तप्प
त्तियं केइ छए वा परिहारे वा, नण्णत्थ एगाए आलोयणाए ।। गणाओ ओहावण-पदं ३२. भिक्खू य 'गणाओ अवक्कम्म" ओहावेज्जा से य इच्छेज्जा दोच्चं पि तमेव गणं
उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, 'नत्थि णं" तस्स केइ तप्पत्तियं छए वा परिहारे वा,
नण्णत्थ एगाए सेहोवट्ठावणियाए । अकिच्चट्ठाण-आलोयणक्कम-पवं ३३. भिक्खू य" अण्णयरं अकिच्चट्ठाणं से वित्ता" इच्छेज्जा आलोएत्तए, जत्थेव 'अप्पणो
आयरिय-उवज्झाए पासेज्जा'", 'तेसंतियं आलोएज्जा पडिक्कमेज्जा निदेज्जा गरहेज्जा विउद्देज्जा विसोहेज्जा, अकरणयाए अब्भुट्ठज्जा, अहारिहं तवोकम्म पायच्छित्तं पडिवज्जेज्जा'"। 'नो चेव अप्पणो आयरिय-उवज्झाए पासेज्जा, जत्थेव संभोइयं" साहम्मियं पासेज्जा बहुस्सुयं बब्भागम", तस्संतियं आलोएज्जा जाव पायच्छित्तं
पडिवज्जेज्जा १. क, ग, शु' संकेतितादर्शषु एतत् सूत्रं नास्ति । १४. कप्पइ से तस्संतिए आलोएत्तए वा पडिक्क२. अन्नपासंड (ता)।
मित्तए वा निदित्तए वा गरहित्तए वा विउट्टि३. नत्थियाई (ता)।
त्तए वा विसोहित्तए वा अकरणयाए अब्भुट्टि४. ४ (ता)।
तए वा अहारिहं तवोकम्मं पायच्छित्तं पडिव५. गणादवक्कम्म (ता)।
ज्जित्तए वा (ख); कप्पइ से तस्स अंतिए ६. ओधरिज्जा (क, ख); ओषावेज्जा (ग); आलोएत्तए पडिक्कमित्तए निदित्तए गरहित्तए ___ ओहागुप्पेही गच्छेज्जा (ता)।
विउट्टित्तए अकरणयाए अब्भुद्वित्तए अहारिहं ७. नत्थियाई (ता)।
पायच्छित्तं पडिवज्जित्तए (ता)। ८. केवि (ग)।
१५. संभोतितं (क)। ६. ४ (क, ग, जी, ता, शु)।
१६. बहुआगमं (क, ग); उभागमं (म); १०. सेहोदावणिकाए (क, ग); सेहोवट्ठावणाए बम्भागमं (मवृपा)। (सा)।
१७. जत्थेव णो अप्पणो आयरिउवज्झायं पासेज्ज ११. य गणादवक्कम (ता)।
बहुस्सुयं बहुआगमं जत्थेव अन्नं आयरिउव१२. पडिसेवेत्ता (ख, ता)।
ज्झायं पासेज्ज बहुस्सुयं कप्पइ से तस्संतियं १३. पासेज्ज अप्पणो पायरियउवझायं बहुस्सुयं आलोएत्तए जाव अब्भुट्टित्तए अहारिहं पायबहुआगम (ता)।
च्छित्तं परिवज्जित्तए (ता)।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68